17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

करेंसी बिल्डिंग की होगी हिफाजत

डलहौजी में हेरिटेज बिल्डिंग के रखरखाव के लिए एएसआइ ने उठाये कदम 200 साल पुरानी है करेंसी बिल्डिंग कोलकाता. डलहौसी स्क्वायर में स्थित करीब 200 साल पुरानी करेंसी बिल्डिंग के वास्तविक स्वरूप को बरकरार रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ‘धीमी और वैज्ञानिक ’ प्रक्रियाएं शुरू की हैं. एएसआइ के क्षेत्रीय निदेशक (पूर्व) पीके […]

डलहौजी में हेरिटेज बिल्डिंग के रखरखाव के लिए एएसआइ ने उठाये कदम
200 साल पुरानी है करेंसी बिल्डिंग
कोलकाता. डलहौसी स्क्वायर में स्थित करीब 200 साल पुरानी करेंसी बिल्डिंग के वास्तविक स्वरूप को बरकरार रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ‘धीमी और वैज्ञानिक ’ प्रक्रियाएं शुरू की हैं. एएसआइ के क्षेत्रीय निदेशक (पूर्व) पीके मिश्र ने बताया कि हम चाहते हैं कि इमारत पूरी तरह संरक्षित और सुरक्षित रहे. हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अपने मूल रूप में यह इमारत कैसी थी.
उन्होंने बताया कि हमारा तकनीकी दल इमारत की मरम्मत के काम की निगरानी कर रहा है. दल में इंजीनियर और पुरातत्वविद् शामिल हैं. हमने इसके बारे में धीमी और वैज्ञानिक प्रक्रियाएं अपनायी हैं ताकि वास्तविक स्वरूप लंबे समय तक बरकरार रहे. एएसआइ के एक अधिकारी ने बताया कि मरम्मत का काम एक जारी प्रक्रिया है और इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है. यह धीमी प्रक्रिया है और इसमें शायद कुछ ज्यादा समय लगे लेकिन हम इस साल के आखिर तक काम पूरा कर लेने की योजना बना रहे हैं. यह इमारत केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के अधिकार क्षेत्र में थी, जिसने यहां एक गगनचुंबी इमारत बनाने के लिए इमारत को गिराना शुरू कर दिया था. बहरहाल, 1998 में इमारत को तोड़ने का काम रोक दिया गया और पूरे ढांचे को हेरिटेज बिल्डिंग एवं राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर दिया गया. वर्ष 2003 में एएसआइ ने इमारत का प्रभार ले लिया लेकिन इस पर कब्जा उसे 2005 में मिला और उसने इमारत की मरम्मत तथा गिराये गये हिस्से के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया.
श्री मिश्र ने बताया कि काम शुरू करना आसान नहीं था. मलबे का ढेर हटाने में दो साल लग गये और फिर मचान तैयार किये गये. इसके बाद अंदरूनी मरम्मत शुरू की गयी, जिसके तहत दीवारों पर चूने का प्लास्टर लगाया गया और फर्श तथा लकड़ी की खराब हो चुकी सीढ़ियों की मरम्मत की गयी.
चूने का काम करने वाले दक्ष मजदूरों की अनुपलब्धता की वजह से भी इमारत की मरम्मत का काम धीमा हो गया.एएसआइ के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हमारे अधिकारियों ने ऐसे मजदूरों की पूरे राज्य भर में तलाश की और वह भी सामान्य से कहीं अधिक भुगतान के साथ. इसके अलावा, एएसआइ के पास दक्ष श्रमिकों की भी कमी है क्योंकि उसका तकनीकी दल नेशनल लाइब्रेरी, विक्टोरिया मेमोरियल जैसी अन्य धरोहर इमारतों और जिले में कई अन्य इमारतों की मरम्मत और उनके रख-रखाव का काम भी कर रहा है.
मरम्मत का लगभग आधा काम पूरा हो चुका है और अब एएसआइ जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त करने में जुटा है ताकि आसपास की इमारतों की नालियों और बारिश के पानी की वजह से होने वाले रिसाव के कारण आने वाली नमी से ढांचे को बचाया जा सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें