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आर्सेनिक प्रभावित गांव बेच रहा सुरक्षित पेयजल
मधुसूदनकांति सहकारिता कृषि उन्नयन समिति का अनोखा प्रयास 50 पैसे लीटर के हिसाब से उत्तर 24 परगना जिले में स्थित मधुसूदनकांति गांव के लोग आसपास के गांवों में बेच रहे साफ पानी कोलकाता : कभी आर्सेनिक युक्त भूमिगत जल पीने को विवश रहे एक गांव के लोग आज तालाबों के जल को स्वच्छ और सुरक्षित […]
मधुसूदनकांति सहकारिता कृषि उन्नयन समिति का अनोखा प्रयास
50 पैसे लीटर के हिसाब से उत्तर 24 परगना जिले में स्थित मधुसूदनकांति गांव के लोग आसपास के गांवों में बेच रहे साफ पानी
कोलकाता : कभी आर्सेनिक युक्त भूमिगत जल पीने को विवश रहे एक गांव के लोग आज तालाबों के जल को स्वच्छ और सुरक्षित बना कर पड़ोस के गांवों को बेच रहे हैं. यह गांव भारत-बांग्लादेश सीमा के नजदीक स्थित है, जहां एक प्रौद्योगिकी ने लोगों की जिंदगी बदल दी है.
फ्रांस की एक नयी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए गांव की सहकारी सोसाइटी मधुसूदनकांती सहकारिता कृषि उन्नयन समिति ने एक जल शोधन परियोजना स्थापित की है, जो तालाबों के प्रदूषित पानी को सुरक्षित पेयजल में बदलती है. सहकारी सोसाइटी अब मधुसूदनकांती में रह रहे सैकड़ों परिवारों को आर्सेनिक मुक्त पेयजल की आपूर्ति कर रही है और इसे 50 पैसे लीटर के हिसाब से उत्तर 24 परगना जिले में स्थित आसपास के गांवों में भी बेच रही है.
सोसाइटी के अध्यक्ष हलधर शर्मा ने बताया : वर्तमान में हम हर रोज 2000 लीटर पानी शुद्ध कर रहे हैं और इसे जारों तथा बोतलों में बंद कर बेच रहे हैं. गांव से बाहर के करीब 200 परिवार भी हमारे ग्राहक हैं. ‘सुलभ जल’ के लेबल वाली परियोजना के लिए वित्तपोषण और संकल्पना सुलभ इंटरनेशनल ने की है.
सुलभ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि जल शोधन प्रौद्योगिकी का परीक्षण कंबोडिया और मैडागास्कर में किया गया था, लेकिन इसे गांव में पहली बार बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा : विश्व में यह पहली बार है कि हम इस नयी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से बहुत ही कम कीमत पर शुद्ध पेयजल उत्पादित करने में सफल हुए हैं.
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