इसके लिए निगम को ग्राहकों की तलाश है. एक सवाल के जवाब में मेयर शोभन चटर्जी ने बताया कि ईएम बाइपास पर जमीन के दो प्लॉट हैं, एक प्लॉट 5.78 एकड़ और दूसरा प्लॉट 8.12 एकड़ का है. काफी दिनों से निगम की इस जमीन पर कुछ लोग खेती कर रहे हैं. इस जमीन को लीज पर देने से पहले उन किसानों का पुनर्वास किया जायेगा. इस संबंध में किसानों के साथ बातचीत जारी है. मेयर ने बताया कि निगम समेत कोई भी सरकारी जमीन बेची नहीं जाती है, बल्कि लीज पर दी जाती है. इसलिए इस जमीन को भी हम लोग लीज पर ही देंगे.
मदद के रूप में तिरपाल के अलावा नकद रुपये देने की भी परंपरा रही है. इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. निगम क्लबों को पैसे दे रहा है. केकेआर के ऊपर रुपये लुटाये जा रहे हैं, लेकिन गरीबों के लिए उसके पास फंड नहीं है. विपक्ष की नेता रूपा बागची ने कहा कि आग लगने पर निगम ने घर तक बना कर दिया है. आग में दुकान नष्ट होने पर हर्जाना देने का भी इतिहास रहा है. पर, इस बार निगम बस्ती को अवैध बता कर मदद करने से इनकार कर रहा है. स्थानीय पार्षद ने भी राहत देने की सिफारिश की थी, लेकिन उसे भी ठुकरा दिया गया. इस पर मेयर परिषद सदस्य अतीन घोष ने कहा कि जिस बस्ती में आग लगी, वह पूरी तरह अवैध थी. वहां रहनेवालों के पास राशन कार्ड तक नहीं हैं. जिस जगह यह घटना हुई, वह जमीन रेलवे की है. इसलिए उन लोगों की मदद करना निगम की जिम्मेदारी नहीं बनती है. इसके बावजूद निगम के बस्ती विभाग ने उन्हें राहत व पुनर्वास देने का बीड़ा उठाया है और जल्द ही काम शुरू हो जायेगा.