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भारत रत्न वापस लेने की बात निर्थक

कोलकाता : लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने भाजपा सांसद चंदन मित्र के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लिये जाने की मांग की आलोचना की है. मित्र की मांग को निर्थक बताते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि यह (भारत रत्न वापस लेने की मांग) एक चौंकाने वाला वक्तव्य है. क्या यह […]

कोलकाता : लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने भाजपा सांसद चंदन मित्र के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लिये जाने की मांग की आलोचना की है. मित्र की मांग को निर्थक बताते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि यह (भारत रत्न वापस लेने की मांग) एक चौंकाने वाला वक्तव्य है.

क्या यह किसी पर एहसान करते हुए दिया जाता है? यह वापस कैसे लिया जा सकता है? श्री चटर्जी ने ये बातें शनिवार को कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से ज्यूडिशियरी, इथिक्स एंड जस्टिस डिलिवरी इन इंडियाविषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा.

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सभी जानते हैं कि इस पुरस्कार को पानेवाला व्यक्ति पुरस्कार के कितने लायक होता है. यह पुरस्कार देश देश के लोगों द्वारा सम्मान के तौर पर दिया जाता है.

परिचर्चा के विषय पर बोलते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि प्रभावी न्याय प्रणाली के लिए उसमें लगातार न्यायिक सुधार होते रहना चाहिए. उन्होंने नाली पालकीवाला द्वारा कहे गये बात को दुहराते हुए कहा कि देश में न्याय प्रकिया सदा से लंबी होती है, न्याय सही होना चाहिए लेकिन किसी भी कारण उसमें देर नहीं होनी चाहिए.

कार्यक्रम में उपस्थित उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम क्रांतिकारी कदम है. देश के सभी नागरिक को जानने का अधिकार है.

यह अधिकार अपनी अधिव्यक्ति को प्रकट करने का ही एक रूप है. श्री गांगुली ने इस अधिनियम की प्रमाणिकता को बनाये रखने की बात कही. कार्यक्रम में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश तुहीन बनर्जी ने वैकल्पिक विवाद निवारण प्रणाली के बारे में बोलते हुए न्यायिक मामलों के जल्दी निपटारे के लिए लोक अदालत की भूमिका को सराहा.

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