कोलकाता. हनुमानजी का जन्म वानर वंश में हुआ था. लेकिन भगवान की कृपा से वे अद्भुत संत भी थे. लंका के राजा को हराना सहज काम नहीं था. श्रीहनुमानजी ने इसमें आम भूमिका निभायी थी. इसीलिए जीत का श्रेय श्री हनुमानजी को जाता है. श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्र के आज 8वें दिन श्रीशक्तिरामजी महाराज ने कहा कि श्रीरामजी को हनुमानजी पर पूर्ण विश्वास था. जिस तरह श्रीहनुमानजी ने वानर एवं वानर राजाओं को श्रीलंका के राजा के खिलाफ लड़ाई में शामिल किया, वह एक तरह से चमत्कार ही था. समुद्र में रामसेतु का निर्माण वानरों ने ही किया था. भगवान श्रीराम यदि चाहते तो रामसेतु के निर्माण किये बिना श्रीलंका पर हमला कर सकते थे, लेकिन हनुमानजी के परामर्शनुसार श्रीरामजी ने रामसेतु का निर्माण कराया. इसमें असंख्य वानरों ने योगदान किया. उन्होंने कहा कि जब बाली ने सुग्रीव को घर से निकाल दिया था, तब हनुमानजी ने ही सुग्रीव को आश्रय दिया और बाद में भगवान श्रीराम से दोस्ती कराया. यह एक तरह से चमत्कार ही था. क्योंकि सुग्रीव उस समय श्रीराम के विरोधी थे ऐसा कहा जाता है. संस्था के पदाधिकारियों ने श्री शक्तिरामजी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन पत्रकार प्रकाश चंडालिया ने किया.
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अद्भुत संत थे हनुमानजी : शक्तिरामजी
कोलकाता. हनुमानजी का जन्म वानर वंश में हुआ था. लेकिन भगवान की कृपा से वे अद्भुत संत भी थे. लंका के राजा को हराना सहज काम नहीं था. श्रीहनुमानजी ने इसमें आम भूमिका निभायी थी. इसीलिए जीत का श्रेय श्री हनुमानजी को जाता है. श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्र के […]
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