बेहला के गोविंद बनर्जी ने यह मामला दायर किया है. उनके वकील रविशंकर चट्टोपाध्याय तथा उदय शंकर चट्टोपाध्याय ने बताया कि गत वर्ष 15 सितंबर को बेहाला के ठाकुरपुकुर थाने में गोविंद बनर्जी ने अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करायी थी. उन्होंने शिकायत की थी कि बर्दवान के अभिजीत कमिल्ला उनकी बेटी को फुसला कर भगा ले गया है. गत वर्ष 14 सितंबर को अभिजीत को उनके घर के पास मंडराते देखा गया था. पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद अभिजीत से पूछताछ की. उसने बताया कि वह और लड़की, दोनों ही बालिग हैं और उन्होंने शादी कर ली है.
लिहाजा पुलिस कुछ नहीं कर सकी. इसके बाद गोविंद बनर्जी ने एक और एफआइआर दायर किया. इसमें उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला है कि उनकी मानसिक तौर पर बीमार बेटी को ठीक तरीके से दवाएं नहीं खिलायी जा रहीं. लेकिन पुलिस द्वारा कोई कदम न उठाने पर वह हाइकोर्ट की शरण में गये. न्यायाधीश नादिरा पाथेरिया ने लड़का व लड़की दोनों को हाइकोर्ट में हाजिर करने का निर्देश पुलिस को दिया.
लेकिन इस बीच न्यायाधीशों के सुने जाने वाले मामलों की प्रकृति बदल जाने के कारण यह मामला न्यायाधीश सौमित्रा पाल की अदालत में पहुंचा. पुलिस ने लड़का-लड़की दोनों को ही न्यायाधीश सौमित्रा पाल की अदालत में पेश किया. न्यायाधीश ने लड़की के साथ अकेले में बातचीत की. इसके बाद उन्होंने एसएसकेएम अस्पताल के सुपर को 15 दिनों के भीतर लड़की की मानसिक हालत का पता लगा कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है. अगली सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी.