कोलकाता: सारधा चिटफंड घोटाले में सीबीआइ जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ जल्द की कई प्रभावशाली लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकती है. राज्य में नयी सरकार बनने के बाद सारधा समूह का कारोबार छह गुणा बढ़ गया और इसका बड़ा भाग मीडिया क्षेत्र में निवेश पर खर्च किया गया. आम जनता से उगाहे गये पैसे को मीडिया कारोबार में लगाने के कार्य में जिन लोगों की भूमिका थी, लगभग वे सभी जांच के दायरे में शामिल हैं.
बांग्ला भाषा के अखबार के मालिक व तृणममूल के राज्यसभा सदस्य सृंजय बसु की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ अब एक बड़े हिंदी अखबार (प्रभात खबर नहीं) के मालिक से पूछताछ की तैयारी कर रही है. सोमवार को उन्हें नोटिस भेजे जाने की संभावना है. सीबीआइ दफ्तर बुला कर उनसे पूछताछ की जायेगी.
सीबीआइ अधिकारी बताते हैं कि सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन की गिरफ्तारी के बाद उनके सभी अखबार को किस तरह से चलाया जाय, इस बारे में एक बांग्ला अखबार के दफ्तर में कई प्रभावशाली लोगों को लेकर बैठक हुई थी. इस बैठक में सृंजय बसु के अलावा अन्य कई प्रभावशाली लोग शामिल हुए थे. उस बैठक में एक हिंदी अखबार के मालिक भी शामिल हुए थे. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में वे क्यों शामिल हुए थे. उनका योगदान क्या था, उनकी क्या भूमिका थी. इस बैठक में उनके शामिल होने के पीछे का मकसद क्या था. इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए उन्हें पूछताछ के लिए बुलाये जाने की संभावना है.
जानकारी के अनुसार, इस बैठक में शामिल सभी प्रभावशाली लोगों से पूछताछ की जा सकती है. गौरतलब है कि सारधा मामले में एक बांग्ला दैनिक के मालिक सृंजय बोस को सीबीआइ गिरफ्तार कर चुकी है. उनसे पूछताछ में ही सीबीआइ को बांग्ला अखबार के दफ्तर में गोपनीय बैठक होने व वहां मौजूद लोगों के बारे में जानकारी मिली थी. अब सीबीआइ ने इन सभी से पूछताछ का निर्णय लिया गया है.
ओड़िशा में पांच स्थानों पर छापेमारी
नयी दिल्ली/ कोलकाता. सीबीआइ ने चिटफंड घोटाले के संदर्भ में गुरुवार को आशा एग्रो इक्विपमेंट इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी के खिलाफ कोलकाता में 11 और ओड़िशा में पांच स्थानों पर छापामारी की.कंपनी के प्रबंध निदेशक तरुण कुमार बारुई और निदेशकों रंजीत सांतरा, सुशांत महापात्र, अनंत बारिक और परिमल बिश्वास के कार्यालयों और आवासों पर छापामारी की गयी. सीबीआइ सूत्रों के अनुसार, बंगाल में कोलकाता के साथ-साथ आमता, उल्टाडांगा, संदेशखाली, काकद्वीप आदि में सुबह छह बजे से छापेमारी शुरू हुई.
छापेमारी के दौरान सीबीआइ को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले. सीबीआइ यह जांच कर रही है कि इस कंपनी का संबंध सारधा के साथ था या नहीं. बंगाल में इस कंपनी के खिलाफ दो एफआइआर दायर किये गये हैं, जबकि सीबीआइ ने ओड़िशा में कई चिटफंड कंपनियों के खिलाफ 44 प्राथमिकी दर्ज की हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सारधा घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी और कई राज्य सरकारों से कहा था कि इस संदर्भ में एजेंसी को साजो-सामान संबंधी मदद मुहैया करायें. सीबीआइ ने इस मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका की भी जांच करने के लिए संयुक्त निदेशक राजीव सिंह की अगुवाई में विशेष जांच दल का गठन किया था.
सांसद इमरान का जमात-ए-इसलामी से संबंध: सिंह
कोलकाता: भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व पश्चिम बंगाल पार्टी मामलों के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद हसन इमरान पर बांग्लादेश के संगठन जमात-ए-इसलामी के साथ संबंध होने का आरोप लगाया. गुरुवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय खुफिया विभाग की जानकारी के अनुसार तृणमूल सांसद इमरान के संबंध जमात-ए-इसलामी के नेता सौकत के साथ था. सौकत अली 2005 में बांग्लादेश में हुए सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है. उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल के राजनीतिज्ञों व जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) के बीच लगभग 75 करोड़ रुपये की लेनदेन हुई.
दो सालों में बर्दवान विस्फोट कांड में मारे गये शकील अहमद ने बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के साथ 18 बार रुपये की लेनदेन की. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया कि बांग्लादेश के दौरे से पहले ममता स्पष्ट करें कि तृणमूल सांसदों का बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के साथ कैसा संबंध था तथा दोनों के बीच कितनी बार रुपयों की लेनदेन हुई है. आरोप है कि तृणमूल सांसद अहमद हसन इमरान राज्य में 1977 से 1984 के बीच सिमी के सदस्य रहे थे. दूसरी ओर, सिंह के आरोप पर माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रलय को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए तथा पूरी स्थिति आम लोगों के समझ रखनी चाहिए.