कोलकाता: लोकतंत्र हमे अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है. इसका पूरा इस्तेमाल करते हुए हमें अपनी समस्या व सुझावों को शासक दल तक पहुंचाने की जरूरत है. इसलिए किसी देश की सामाजिक व आर्थिक उन्नति की असफलता उस देश के लोकतंत्र की असफलता नहीं हो सकती. अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट करने की जिम्मेवारी खुद जनता को लेनी होगी. किसी देश में लोकतंत्र की असफलता पर किसी का नियंत्रण नहीं रहता. उस दशा में देश की दिशा का निर्धारण नहीं किया जा सकता. ये बातें शुक्रवार को नोबेल पुरस्कार विजेता व अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने महानगर के आइसीसीआर सभागार में ‘नीति ओ न्याज्यता’ पुस्तक के अनावरण के मौके पर कहीं.
श्री सेन की लिखी पुस्तक ‘आइडिया ऑफ जस्टिस’ के बांग्ला अनुवाद इस पुस्तक का लोकार्पण प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की कुलपति मालविका सरकार ने किया. अपनी पुस्तक के बांग्ला अनुवाद के बारे में श्री सेन ने कहा : किसी पुस्तक का दूसरी भाषा में अनुवाद से पुस्तक के पाठकों की संख्या बढ़ती है व साथ ही दोनों भाषाओं में पुस्तक का तुलनात्मक अध्ययन आनंददायक होता.
उन्होंने अनुवाद होने की स्थिति में शब्दों में हेरफेर होने की बात कहीं, क्योंकि दो अलग-अलग भाषाओं की उत्पत्ति का श्रोत अलग-अलग हो सकता है. श्री सेन ने किसी पुस्तक की मूल भाषा को ज्यादा आनंद दायक बताया. वहीं, पुस्तक के बारे में बोलते हुए प्रोफेसर मालविका सरकार ने कहा कि इसमें न्याय का मूल्यांकन से प्रोफेसर सेन की दक्षता का पता चलता है. पुस्तक का हर पन्ना पाठक की सोच को प्रकाशित करती है व दिशा प्रदान करती है.
पुस्तक के लेखनी में भूत व वर्तमान परिदृश्य में चिंतनधारा का वर्णन किया गया है. प्रोफे सर सेन के अनुसार, दोनों ही समय की चिंतन धारा में समानता व असमानता के साथ जटिलता भी है. पुस्तक की लेखनी पाठक की चिंतनधारा को गति प्रदान करती है.