कोलकाता: जानेमाने वैज्ञानिक प्रो. विकास सिन्हा ने राज्य की आंदोलन की संस्कृति को कठघरे में खड़ा करते हुए बंगाल को एक असफल राज्य बताया है. उनका मानना है कि बेवजह के आंदोलनों से बंगाल बरबादी की ओर जा रहा है. एक कार्यक्रम में पहुंचे प्रो. सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हर वक्त आंदोलन करने का कोई मतलब नहीं होता. पश्चिम बंगाल एक असफल राज्य है. यही तथ्य है. पिछले दो दशकों से यहां कोई विकास नहीं हुआ.
होमी भाभा चेयर प्रोफेसर, डीएइ, डॉ विकास चंद्र सिन्हा के मुताबिक बंगाल में ‘चोलबे ना’ (नहीं चलेगा) की संस्कृति ने इसके विकास को अवरुद्ध कर दिया. गौरतलब है कि शुक्रवार को राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने दावा किया था कि पिछले तीन साल में राज्य में निवेश करने वाले लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है और यह वर्तमान सरकार के सुशासन का ही नतीजा है.
पद्मभूषण सम्मान पा चुके डॉ सिन्हा ने यादवपुर विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के विरोध प्रदर्शन के संबंध में कहा कि मानसिकता बदलनी होगी. यूनिवर्सिटी के कैंपस में जाकर हंगामा करने से कोई लाभ नहीं होगा. युवा पीढ़ी को खुद को पहचानना होगा. केवल विरासत के बड़े नामों को याद करने से कुछ नहीं होने वाला. बंगाल के लोग सिर्फ ‘नौकरी’ ही चाहते हैं. इस मानसिकता को बदलना होगा. प्रो सिन्हा श्री शिक्षायतन स्कूल के हीरक जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे.
कौन हैं प्रो. विकास सिन्हा
प्रो. विकास सिन्हा न्यूक्लियर फिजिक्स व हाई एनर्जी फिजिक्स के क्षेत्र में बेहद सक्रिय रहे हैं. वह साहा इंस्टीटय़ूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स और वैरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर के निदेशक भी रह चुके हैं. वर्तमान में वह वैरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर में होमी भाभा चेयर प्रोफेसर हैं. वह प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं. प्रो. सिन्हा 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके हैं.
वित्त मंत्री का 83 हजार करोड़ निवेश का दावा
मशहूर वैज्ञानिक प्रो विकास सिन्हा के बयान के विपरीत पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा का दावा है कि पिछले साढ़े तीन साल में राज्य ने काफी विकास किया है. शुक्रवार को उन्होंने कहा था कि कारोबारी धारणा में सुधार के साथ राज्य में पिछले साढ़े तीन साल में अग्रणी कंपनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों से 83,000 करोड़ रुपये का निवेश आया है. राज्य ने अप्रैल, 2011 और दिसंबर, 2014 के बीच 83,212 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया.