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तैयार होगी पर्यावरण इंजीनियरों की फौज

कोलकाता: ऐसे समय पर, जब उद्योगों के विकास की राह में पर्यावरण मंजूरी बड़ी अड़चन बनती जा रही है, आइआइटी खड़गपुर ने चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए पर्यावरण इंजीनियरों का दल तैयार करने का फैसला किया है. आइआइटी में पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शुरू होनेवाला नया स्कूल वर्ष 2015 के शैक्षिक सत्र […]

कोलकाता: ऐसे समय पर, जब उद्योगों के विकास की राह में पर्यावरण मंजूरी बड़ी अड़चन बनती जा रही है, आइआइटी खड़गपुर ने चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए पर्यावरण इंजीनियरों का दल तैयार करने का फैसला किया है.

आइआइटी में पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शुरू होनेवाला नया स्कूल वर्ष 2015 के शैक्षिक सत्र से बीटेक और एमटेक दोनों स्तरों पर सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग की दोहरी डिग्री की पेशकश करेगा. स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर जयंत भट्टाचार्य ने कहा कि अभी पर्यावरण इंजीनियरों की मांग काफी ज्यादा है. वे केवल कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) अभियान का ही हिस्सा नहीं, बल्कि वे कंपनी के विकास के वाहक हैं और लागत घटाकर मुनाफा बढ़ाते हैं.

पाठ्यक्रमों में पर्यावरण मुद्दों के इंजीनियरिंग समाधान पर फोकस होगा. इसके तहत खनन, रासायनिक सीमेंट, खाद्य प्रसंस्करण, धातु उद्योग संबंधी आदि क्षेत्रों के बड़े-बड़े उद्योग आते हैं. श्री भट्टाचार्य ने कहा : उद्योगों के लिए पर्यावरण मंजूरी में देरी अब एक बड़ी बाधा बन गयी है, इसलिए संसाधनों के प्रभावशाली इस्तेमाल, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण की समस्या के समाधान की जरूरत है. हमारे पर्यावरण इंजीनियर इन सब मुद्दों से निपटने के लिए प्रशिक्षित होंगे. अनुमान है कि भारतीय उद्योगों को करीब 10,000 पर्यावरण इंजीनियरों की जरूरत है और विशेषीकृत कार्यबल के अभाव में रासायनिक इंजीनियरों को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है.

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