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मैथिली भाषा को कमजोर करने की हो रही साजिश : अशोक झा

कोलकाता. मैथिली देश की प्राचीनतम भाषा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मैथिली भाषा को 2003 में भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूचि में शामिल किया गया था. दस वर्षों से ज्यादा समय बीतने के बावजूद मैथिली भाषा को द्वितीय राजभाषा के रूप में बिहार सरकार ने मान्यता नहीं दी. भाषाई मान्यता के […]

कोलकाता. मैथिली देश की प्राचीनतम भाषा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मैथिली भाषा को 2003 में भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूचि में शामिल किया गया था. दस वर्षों से ज्यादा समय बीतने के बावजूद मैथिली भाषा को द्वितीय राजभाषा के रूप में बिहार सरकार ने मान्यता नहीं दी. भाषाई मान्यता के बावजूद मैथिली पद्धति से पढ़ाने की व्यवस्था का नहीं होना कष्टकर है. मैथिली भाषा को कमजोर करने की साजिश चल रही है. यह कहना है मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष अशोक झा का, जोकि 14 दिवसीय मिथिला महोत्सव के दूसरे पर्व पर आयोजित मैथिली भाषा के संवैधानिक मान्यता व उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे. साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली में मैथिली परामर्शदातृ समिति की संयोजिका डॉ वीणा ठाकुर ने कहा कि मैथिली भाषा की जड़ें इतनी मजबूत है कि इसे हिलाने की सारी साजिशें नाकाम हो रही हैं. रामलोचन ठाकुर, नवीन चौधरी, प्रफुल्ल कोलख्यान समेत दरभंगा से आये मैथिली के रचनाकार डॉ बुचरु पासवान, अमलेंदु पाठक, फूलचंद्र झा प्रवीण, कमलाकांत झा, आमोद झा, बिनय भूषण, अमरनाथ झा भारती ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया. विनय कुमार प्रतिहस्त, अरुण झा, विष्णु देव मिश्र, पं. नंद कुमार झा, चंद्रदीप झा, रमेश झा, रघुनाथ चौधरी, मदन चौधरी, विनोद झा, मो. नियाज, सुबोध ठाकुर, नबोनाथ मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया.

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