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आरपीएफ पोस्ट में हुई तीन आरपीएफ कर्मियों की मौत का मामला, आखिर कहां गये वे खाली खोखे.

कोलकाता: हावड़ा रेलवे डिपो के जनरल स्टोर आरपीएफ पोस्ट में हुई तीन आरपीएफ कर्मियों की मौत के मामले में कार्बाइन से हुई अंधा-धुंध फायरिंग और उसके बाद एक एएसआइ जवाहर लाल हरिजन, सिपाही दीपक कुमार सिंह और हेड कॉस्टेबल भगवान चौधरी की मौत के मामले में पुलिस उन छह खोखों को तलाश रही है, जो […]

कोलकाता: हावड़ा रेलवे डिपो के जनरल स्टोर आरपीएफ पोस्ट में हुई तीन आरपीएफ कर्मियों की मौत के मामले में कार्बाइन से हुई अंधा-धुंध फायरिंग और उसके बाद एक एएसआइ जवाहर लाल हरिजन, सिपाही दीपक कुमार सिंह और हेड कॉस्टेबल भगवान चौधरी की मौत के मामले में पुलिस उन छह खोखों को तलाश रही है, जो उस दौरान फायर हुए थे लेकिन बरामद नहीं हो सके.

सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को हावड़ा जनरल स्टोर आरपीएफ पोस्ट में जब घटना हुई उस वक्त पोस्ट में ड्यूटी बांटने के का काम चल रहा था. ड्यूटी अधिकारी रूम में बैठे एएसआइ जवाहर लाल सिपाहियों को ड्यूटी दे रहे थे. हालांकि उनकी ड्यूटी दोपहर दो से रात दस बजे की पाली में थी. लिहाजा वे ड्यूटी बांट कर घर जाने की तैयारी में थे. प्रत्यक्ष दर्शियों की मानें तो घटना के ठीक पहले बी चौधरी जिनके हाथों में कार्बाइन थी.

किसी बात को लेकर उनकी कहा-सुनी एएसआइ के साथ हुई थी. इसी बीच वहां सिपाही दीपक कुमार सिंह भी पहुंचे. इसी बीच पोस्ट के अंदर से गोलियों के चलने की आवाज सून कर अन्य लोग वहां पहुंचे और देखा कि तीनों लहू -लुहान अवस्था में फर्श पर पड़े थे. एक अधिकारी ने बताया कि कार्बाइन में कुल 35 राउंड गोलियां थीं, जिसमें से 19 राउंड उस वक्त फायर की गयीं, जबकि 16 राउंड गोली अभी-भी कार्बाइन में लाइव बची हुई है. हालांकि हमने फायर हुए 13 खोखे को तो बरामद कर लिया है लेकिन अभी-भी छह खोखे बरामद नहीं हुए हैं, जिसकी तलाश जारी है.

फायरिंग इतनी अंधाधुंध हुई कि खिड़कियों के शीशे टूट गये और कई राउंड गोली तो शरीर को भेदते हुए पास स्थित व्यस्ततम सड़क की तरफ भी गयी थी. रेलवे सुरक्षा बल पूर्व रेलवे के आइजी विनोद कुमार ढाका ने बताया कि हमने घटना की घटना की जांच के लिए कोट ऑफ इंक्वायरी बैठा दी है, जिसमें एक एसीपी रैंक का अधिकारी के साथ दो इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी होंगे. उन्होंने दावा किया की जांच रिपोर्ट 10 दिनों में आने की संभावना है. हम जानना चाहते हैं कि आखिर घटना का कारण क्या है. आरोप है कि हेड कॉस्टेबल बी चौधरी ने पांच दिनों की छुट्टी का आवेदन किया था और इसी के बाद विवाद हुआ.

पोस्टमार्टम के बाद श्रद्धांजलि

गुरुवार देर शाम हावड़ा के मल्लिक फाटक स्थित मार्क में तीनों मृत आरपीएफ कर्मियों का पोस्टमार्टम किया गया. इस दौरान मृतकों के परिजनों के साथ रेलवे के अधिकारी भी मौजूद रहे. पोस्टमार्टम के बाद मृतकों के शवों को रेलवे सुरक्षा बल के लाइन बैरक में ले जाया गया, जहां हावड़ा मंडल के आरपीएफ के आइजी विनोद ढ़ाका और एडीजी सुरेश सैनी के साथ बड़ी संख्या में आरपीएफ कर्मियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया. हावड़ा डिवीजन आरपीएफ द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देने की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन सूर्यास्त हो जाने के कारण गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सका.

ये ड्यूटी पर थे तैनात

घटना वाले दिन एएसआई जवाहर लाल हरिजन और सिपाही दीपक चौधरी दोनों दोपहर दो से लेकर रात 10 बजे तक वाली पाली में तैनात थे, जबकि हेड कांस्टेबल भागवत चौधरी सेकेंड नाइट यानी रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे वाली पाली में भी ड्यूटी के लिए आरपीएफ पोस्ट पर पहुंचे थे. हालांकि मृतक बी चौधरी के साथ पोस्ट पर अन्य कर्मी भी वहां मौजूद थे, जिसमें हेड कॉस्टेबल ए गोस्वामी, हेड कॉस्टेबल पीसी नस्कर, हेड कॉस्टेबल टी एन सिंह, सिपाही मो. अब्दुल्ला और सिपाही एस बर्मन मौजूद थे.

मेरी बहन कैसे सहेगी इस सदमे को

पहले भगवान ने मां को छिन लिया और आज क्रिसमस पर पिता का भी साया भी सर से उठ गया. दुखों का बोझ उठाते-उठाते मैं तो अब आदि हो चुका हूं, लेकिन क्या होगा मेरी बहन का. यह सोच कर भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यह कहते-कहते जय कुमार राय की आंखों में आंसू भर आया लेकिन अपने आंसुओं को संभालते हुए जय कुमार कहते हैं, एक वर्ष पहले मां की मौत के बाद मेरी बहन पहले से ही सदमे में चल रही थी लेकिन जब पिता (एएसआइ जवाहर लाल हरिजन) के मौत की खबर सुनेगी तो मैं उसे कैसे संभालूंगा, यह कहने के बाद जय कुमार राम अपने आंसुओं को रोक नहीं पाये. हम बात कर रहे हैं शुक्रवार की रात हावड़ा के जनरल स्टोर आरपीएफ पोस्ट में मारे गये एएसआइ जवाहर लाल हरिजन के एक मात्र पुत्र जय कुमार राम का. आंसुओं पर नियंत्रण रखते हुए जय बताते हैं कि मां की मौत के बाद हमारे पिता ही सब कुछ थे. वे ड्यूटी के दौरान भी हमारी खबर लेते रहते. वे बहन को सबसे ज्यादा मानते थे. घटना वाले दिन ड्यूटी समाप्त होने के बाद भी जब उनका फोन नहीं आया तो मैंने उनके मोबाइल पर फोन किया, काफी रिंग होने के बाद भी किसी ने फोन नहीं उठाया. हम सोच रहे थे कि पापा किसी काम में फंसे होंगे लिहाजा फोन वे नहीं उठा रहे हैं. मन में घबराहट थी लिहाजा मैंने टीवी खोला और बांग्ला न्यूज चैनल लगाया तो दुर्घटना की खबर का पता चला. मैंने इसकी सूचना अपने पड़ोसियों को दी और भागे हुए पिता जी के पोस्ट पर पहुंचा तो पिता की मौत की खबर मिली. शिकायत के लहजे में जय कहते हैं कि एक साल पहले हृदय बीमारी से मां की मौत होने के बाद पिता जी ही तो हमारे सब कुछ थे लेकिन हमसे क्या भूल हो गयी जो भगवान ने हमारा एक मात्र सहारा पिता को भी हमसे छीन लिया. वह अपने पिता की मौत का इंसाफ मांगते हुए कहते हैं कि मैं नहीं जानता की उनको किसने मारा लेकिन मैं अपने पिता की मौत का इंसाफ चाहता हूं. इस दौरान मृत एएसआइ जवाहर लाल के बड़े भाई जो की आरपीएफ से ही रिटायर्ड हैं, बताते हैं कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे भाई की ऐसी मौत होगी. जबकि वह काफी शांत व्यक्ति था. सबसे बड़ी परेशानी है कि उसकी माध्यमिक में पढ़ने वाली बेटी का क्या होगा जो एक वर्ष पहले अपनी मां की मौत के सदमे से ही नहीं उबर पायी है.

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