कोलकाता: राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ प्रदर्शन में बुद्धिजीवियों समेत हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. बुद्धिजीवियों के इस महाजुलूस की शुरुआत कॉलेज स्क्वायर से हुई, जो एस्प्लानेड तक गया.
किसी राजनीतिक मंच के बगैर बड़ी तादाद में लोगों ने इसमें हिस्सा लिया. जुलूस में कवि शंख घोष, नाट्यकर्मी रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता, सुमन मुखोपाध्याय, वाम मोरचा सरकार में वित्त मंत्री रहे अर्थशास्त्री अशोक मित्र, पेंटर वसीम कपूर और समीर आइच, अभिनेता सब्यसाची चक्रवर्ती, विप्लव चटर्जी आदि शामिल थे.
दोपहर करीब 2.50 बजे से कॉलेज स्क्वायर में लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया. जुलूस की शुरुआत दोपहर 3.15 बजे से हुई. न केवल महानगर, बल्कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग भी इसमें शामिल हुए. आम जनता को भी जुलूस में शामिल होते हुए देखा गया. शाम 4.30 बजे यह जुलूस एस्प्लानेड पहुंचा. कुछ देर बाद ही जुलूस में शामिल लोगों की पुलिस के साथ तूतू-मैंमैं शुरू हो गयी. दरअसल आंदोलनकारी मेट्रो चैनल में प्रदर्शन करना चाहते थे.
लेकिन पुलिस इसकी इजाजत देने के लिए तैयार नहीं थी. आखिरकार आंदोलनकारियों ने एस्प्लानेड मोड़ यानी डोरिना क्रॉसिंग पर ही अपना आंदोलन शुरू कर दिया. यहां वाहनों पर माइकों के जरिये बुद्धिजीवियों ने अपना वक्तव्य रखा. बुद्धिजीवियों ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध के खिलाफ एकजुट होने की वकालत की. असीम चटर्जी ने कहा कि राज्य में अपराधियों का राज कायम हो गया है. आंदोलन को राज्य भर में फैलाने की जरूरत है. शाम करीब 5.15 बजे जुलूस का समापन हुआ.
नक्सलवादी नेता अजीजुल हक भी इस मार्च में शामिल हुए. बारासात जिले के कामदुनी गांव के निवासी भी इस मार्च में शामिल हुए. उल्लेखनीय है कि कामदुनी गांव की एक कालेज छात्र का हाल ही में सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गयी. जुलूस में शामिल कई लोगों ने गले में तख्तियां लगायी थीं. इसमें दुष्कर्मियों को फांसी देने से लेकर महिलाओं के सशक्तिकरण के नारे लिखे हुए थे. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार के खिलाफ इतना बड़ा जुलूस पहली बार देखने को मिला.