कोलकाता: कामदुनी दुष्कर्म कांड पर वरिष्ठ साहित्यकार महश्वेता देवी ने राज्य सरकार की ओर से उठाये गये कदम का स्वागत किया है जबकि साहित्यकार शंख घोष ने राज्य में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को बुद्धिजीवियों की रैली में शामिल होने की घोषणा की.
उन्होंने कहा : शुक्रवार को बुद्धिजीवियों की ओर से रैली कॉलेज स्क्वायर से निकाली जायेगी. इसमें तरुण मजुमदार, सब्यसाची चक्रवर्ती जैसे बुद्धिजीवी शामिल होंगे. इस बाबत गुरुवार को कॉलेज स्क्वायर में बुद्धिजीवियों ने एक सभा की. इस सभा में अपर्णा सेन, सुनंद सान्याल, कौशिक सेन, विभाष चक्रवर्ती सहित कई नामी गिरामी बुद्धिजीवी शामिल थे. बुद्धिजीवियों ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना की.
इधर, महाश्वेता देवी ने जारी एक बयान में कहा कि विगत दो सप्ताह से कामदुनी दुष्कर्म कांड को लेकर पूरे राज्य में खलबली मची हुई है. दुष्कर्म मामले की वह निंदा करती हैं. मृत युवती के परिवार व कामदुनी के लोगों के प्रति उनकी गंभीर संवेदना है. उन्होंने नारी हत्या व दुष्कर्म, निरीह लोगों की हत्या आदि घटनाओं का लगातार विरोध किया है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के समय से मरीचझापी, साईबाड़ी, नेताई, बानतला, नदिया धानतला, फूलबागान, कूचबिहार के फूलबाड़ी में इस तरह की घटनाएं घटी थीं. बाद में सिंगूर व नंदीग्राम जैसी घटनाएं हुईं. तापसी हत्याकांड आज भी लोगों को याद है.
नयी सरकार से उम्मीद
महाश्वेता देवी ने कहा कि बानतला दुष्कर्म कांड में ज्योति बसु ने कहा था कि इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. विगत 40 वर्षो से महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं.
उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत मत है कि दुष्कर्म की घटनाएं राजनीतिक व सामाजिक समस्या है. लोग खुद की मिट्टी से कटते जा रहे हैं. पुरुष व नारी की भाषा बदल रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अदालत से आग्रह करने का निर्णय किया है कि एक माह के भीतर दुष्कर्मी को फांसी हो. यह एक उपलब्धि है. परिवर्तन की सरकार से मैं यही आशा कर रही थी. दुष्कर्म के संबंध में सरकार का यह सिद्धांत विगत के सरकारी निर्णयों के विपरीत है.