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गरीबों के नाम पर पार्षद ने वसूले 50 लाख

कोलकाता: वृहत्तर बड़ाबाजार में इन दिनों राजनीतिक वसूली एवं छुटभैये नेताओं का आतंक चरम पर है. हालांकि बड़ाबाजार पहले ऐसा नहीं था. स्थानीय लोग एवं व्यापारी शांति एवं आपसी भाईचारे के साथ यहां व्यापार करते देखे जाते थे, लेकिन विगत कई वर्षो से बड़ाबाजार की छवि बिगड़ रही है. बड़ाबाजार में रहनेवाले स्थानीय लोग महानगर […]

कोलकाता: वृहत्तर बड़ाबाजार में इन दिनों राजनीतिक वसूली एवं छुटभैये नेताओं का आतंक चरम पर है. हालांकि बड़ाबाजार पहले ऐसा नहीं था. स्थानीय लोग एवं व्यापारी शांति एवं आपसी भाईचारे के साथ यहां व्यापार करते देखे जाते थे, लेकिन विगत कई वर्षो से बड़ाबाजार की छवि बिगड़ रही है. बड़ाबाजार में रहनेवाले स्थानीय लोग महानगर के अन्य क्षेत्रों में जा रहे हैं, जबकि यहां के रियल इस्टेट व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां अब अपना व्यवसाय समेट महानगर के दूसरे क्षेत्रों में जा रही हैं. कारण बड़ाबाजार में राजनीतिक वसूली एवं छुटभैये नेताओं की दादागीरी.

उल्लेखनीय है कि वृहत्तर बड़ाबाजार के एक बहुमंजिली मकान के निर्माण को लेकर स्थानीय पार्षद एवं परियोजना से जुड़े राज्य के एक बड़े उद्योगपति के बीच ठन गयी है. पार्षद की दबंगई की खबर पश्चिम बंगाल सरकार के विभिन्न मंत्रियों के मार्फत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कानों तक पहुंच चुकी है. चर्चा है कि एक स्थानीय पार्षद अपने कुछ गुर्गो की मदद से एक उद्योगपति को लगातार धमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

इस संबंध में कुछ मामले भी पार्षद के खिलाफ स्थानीय थाने में दर्ज किये जा चुके हैं.
विस्थापित हो रहे लोगों को पार्षद के लोगों ने बरगलाया जिन लोगों को बहुमंजिली इमारत से विस्थापित होना था, उन्हें वाजिब मुआवजा देने का आश्वासन प्रमोटिंग कंपनी की ओर से दिया गया था. लेकिन बीच में पार्षद के सहयोगी छुटभैये नेताओं ने कुछ विस्थापित हो रहे लोगों को बरगला कर वहां अशांति फैलाने की कोशिश की जा रही है. स्थानीय पार्षद अपने इस कारनामे के द्वारा बड़ाबाजार की जनता, व्यवसायियों तथा प्रमोटरों में अपनी राबिन हूड की झूठी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

पार्षद ने की गोपनीय बैठक
पहले तो इस परियोजना से जुड़े उद्योगपति पार्षद से मिलना नहीं चाहते थे. लेकिन एक अन्य उनके शुभचिंतक उद्यमी मित्र के हस्तक्षेत्र एवं अशांति को शांति करने के उद्देश्य से पार्षद एवं परियोजना से जुड़े उद्योगपति के बीच एक गोपनीय बैठक एक चेंबर ऑफ कॉमर्स के दफ्तर में हुई. इस बैठक के बाद पार्षद इस परियोजना के उद्योगपति से नहीं, बल्कि बैठक करानेवाले साथी उद्यमी पर दबाव बना अपने हिस्से का 50 लाख रुपये ले लिया. पैसे लेने के बाद पार्षद ने परियोजना में सहयोग करने का आश्वासन दिया. साथ ही कहा कि हमारे लोग दिखावे के लिए परियोजना के बाहर आपका विरोध करते रहेंगे. वास्तव में पार्षद के लोगों ने वहां से विस्थापित हो रहे लोगों को दोगुनी रकम दिलाने का लालच देकर परियोजना से जुड़ी कंपनी के साथ किसी प्रकार का समझौता करने से रोक दिया. लेकिन पार्षद अथवा उनके सहयोगियों द्वारा विस्थापित हो रहे लोगों के लिए कुछ नहीं किया गया.

मुख्यमंत्री के दरबार पहुंचे विस्थापित
पार्षद के लोगों के चंगुल में फंसे विस्थापित लोग जब पार्षद के पास जाते झूठी तसल्ली देकर भेज दिया जाता. इस बीच विस्थापित लोगों में से एक-दो लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जनता दरबार में अपनी फरियाद लेकर पहुंच गये. मुख्यमंत्री ने अपने एक करीबी मंत्री को पूरे प्रकरण की जानकारी लेने का निर्देश दिया. मंत्री की मानें तो वे यह जान कर दंग रह गये कि विस्थापित हो रहे गरीब लोगों के नाम पर पार्षद ने खुद 50 लाख रुपये दबा लिये हैं.

अपने लोगों को भी रखा है अंधकार में
रुपये मिलने के बाद पार्षद ने अपने लोगों को अंधकार में रखा है. रुपये वसूलने के बाद भी उन्होंने अपने साथ काम एवं राजनीति करनेवाले लोगों को यह बता रखा है कि अभी तक कोई पैसा नहीं आया है, डील होते ही सभी में पैसे बांटा जायेगा. अब इसकी वजह से पार्षद के इर्द-गिर्द रहनेवाले लोग अभी भी इस आशा में हैं कि वहां से वसूली होगी तो हमारे भी जेब गरम होंगे.

विस्थापितों के साथ मेयर करेंगे बैठक
इस घटना की विस्तृत जानकारी मुख्यमंत्री के करीबी मंत्री ने मुख्यमंत्री एवं मेयर शोभन चटर्जी को दे चुके हैं. शीघ्र ही परियोजना से विस्थापित होनेवाले लोगों को लेकर मेयर बैठक करनेवाले हैं. प्राप्त सूचना के अनुसार परियोजना से जुड़े मकान के पुराने सभी किरायेदारों को जिस तरह का मुआवजा देने की तैयारी की गयी थी, वह शायद अभी तक के बड़ाबाजार के किसी भी परियोजना में विस्थापितों को दिये जानेवाले मुआवजे की तुलना में ज्यादा होगी. कोलकाता नगर निगम की ओर से इस परियोजना के विस्थापितों के लिए लागू होनेवाले शर्तो को दूसरे प्रमोटरों के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में रखने की कोशिश हो रही है. इन सभी कार्यो की प्रगति ने स्थानीय पार्षद के मिजाज को और गरम कर दिया है, क्योंकि विस्थापित होनेवाले लोगों के नाम पर अब तक जो वह वसूल चुके हैं, उससे ज्यादा अब कोई वसूली की उम्मीद नहीं रह गयी है.

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