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भाजपा ने चौंकाया, हाशिए पर माकपा

।। अजय विद्यार्थी ।। कोलकाता : विधानसभा उपचुनाव बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ले कर आया है. बशीरहाट (दक्षिण) विधानसभा उपचुनाव में भाजपाउम्मीदवार शमिक भट्टाचार्य ने तृणमूल के दीपेंदु विश्वास को पराजित कर जीत हासिल की. वहीं, कोलकाता की चौरंगी विधानसभा सीट पर तृणमूल की उम्मीदवार नयना बंद्योपाध्याय ने भाजपा के उम्मीदवार रितेश तिवारी […]

।। अजय विद्यार्थी ।।

कोलकाता : विधानसभा उपचुनाव बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ले कर आया है. बशीरहाट (दक्षिण) विधानसभा उपचुनाव में भाजपाउम्मीदवार शमिक भट्टाचार्य ने तृणमूल के दीपेंदु विश्वास को पराजित कर जीत हासिल की. वहीं, कोलकाता की चौरंगी विधानसभा सीट पर तृणमूल की उम्मीदवार नयना बंद्योपाध्याय ने भाजपा के उम्मीदवार रितेश तिवारी को पराजित कर जीत हासिल की. यानी एक सीट को भाजपा सीधी जीती, तो दूसरे में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी. विधानसभा उपचुनाव का यह परिणाम बंगाल की राजनीतिक के लिए नया संकेत है.

* दो दशकों बाद खुला खाता

लगभग दो दशकों के बाद राज्य में भाजपा का कमल खिला है. 1999 में दक्षिण 24 परगना के अशोक नगर मेंे भाजपा के विधायक बादल भट्टाचार्य विजयी हुए थे. उनके बाद से भाजपा का कोई भी उम्मीदवार बंगाल के विधानसभा में नहीं पहुंचा था.

बंगाल की राजनीति में भाजपा की पैठ की शुरुआत हो चुकी है. गौरतलब है कि 2011 के विधानसभा चुनाव में बशीरहाट दक्षिण की सीट माकपा के नारायण बंद्योपाध्याय ने जीती थी. उनकी मृत्यु के बाद यहां उपचुनाव हुआ था. 2011 में माकपा की जीती सीट 2014 विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की झोली में चली गयी. वहीं, 2011 के विधानसभा चुनाव में विजय के बाद तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 34 सीटों पर कब्जा जमा कर जीत का सिलसिला जारी रखा. लेकिन विधानसभा उपचुनाव के परिणाम ने राज्य से तृणमूल का तिलिस्म टूटने का संकेत दे दिया है. सारधा चिटफंड घोटाले में तृणमूल नेताओं की मिली भगत भी उसे परेशान कर रही है.

हालांकि 2011 के विधानसभा चुनाव में चौरंगी विधानसभा सीट तृणमूल कांग्रेस की शिखा मित्रा ने जीती थी, लेकिन तृणमूल छोड़ कर कांग्रेस में जाने के बाद उन्होंने तृणमूल से इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से उपचुनाव की नौबत आयी. हालांकि तृणमूल अपनी सीट बरकरार रखी है, लेकिन इस सीट पर भी भाजपा प्रमुख विपक्षी के रूप में उभरी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को बंगाल की 42 में 34 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा को दो, माकपा को दो व कांग्रेस को चार सीटें मिली थीं.

आश्चर्यजनक रूप से लोकसभा चुनाव में भाजपा आठ सीटों पर दूसरे नंबर पर रही. यानी अगर उन सीटों पर थोड़े और मत भाजपा को मिल जाते तो वह राज्य में वाम दल व कांग्रेस को दरकिनार कर राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का रुतबा हासिल कर लेती. लोकसभा में भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव में छह फीसदी और विधानसभा चुनाव में चार फीसदी से बढ़ कर 16.8 फीसदी हो गया था. अब उपचुनाव के परिणाम भी भाजपा के बढ़ते जनाधार का संकेत दे रहे हैं.

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