कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही दावा करे कि उन्हें सारधा समूह की धोखाधड़ी की जानकारी पोइला बैशाख को मिली, लेकिन केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार अगस्त 2010 से ही केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियां ने बंगाल में चिट फंड कंपनियों के विस्तार को लेकर सरकार को बार-बार आगाह किया था.
वहीं, केंद्र सरकार ने भी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) की सिफारिशों की अवेहलना की है. केंद्रीय सरकार ने 2011 के अंत में राज्य सरकार को आगाह किया था. इस संबंध में राज्य सरकार को एक गुप्त संदेश भी भेजा गया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनदेखी करते हुए केंद्र सरकार की एजेंसियों को जवाब भेजा कि चिटफंड कंपनियों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. राज्य सरकार के पास इनसे निपटने के लिए पर्याप्त कानून नहीं हैं. जुलाई 2011 तक आर्थिक अपराध इकाई एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के नेतृत्व में काम करता था, लेकिन अब इसका नेतृत्व एक आइएएस अधिकारी कर रहे हैं.
सूत्रों का कहना है कि जितनी बार भी केंद्रीय एजेंसियों ने सारधा समूह के संबंध में राज्य सरकार को आगाह किया. राज्य सरकार ने उतनी बार अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उसके पास इसके लिए पर्याप्त कानून नहीं है. दूसरी ओर, आर्थिक अपराध इकाई के पास मानव संसाधन नहीं है.