कोलकाता: टैक्सी चालकों की समस्याओं को लेकर सीटू समर्थित वेस्ट बंगाल टैक्सी वर्कर्स यूनियन और वेस्ट बंगाल रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन व एटक समर्थित कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन की ओर से सोमवार को अपराह्न धर्मतल्ला के वाइ चैनल के निकट सभा की जायेगी.
टैक्सी रिफ्यूजल व अन्य मसलों पर राज्य सरकार के अड़ियल रुख को लेकर वामपंथी परिवहन संगठनों में आक्रोश है. सरकार का रवैया नहीं बदलने पर व्यापक आंदोलन को लेकर ये संगठन एकजुट हैं. सभा के दौरान टैक्सी चालकों की समस्याओं को लेकर अगले आंदोलन की घोषणा कर सरकार को चेतावनी दिये जाने की संभावना है. सभा में तमाम टैक्सी चालकों के शामिल होने का आह्वान किया गया है.
सात अगस्त को महानगर में एटक समर्थित कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के आह्वान पर बुलायी गयी विरोध रैली के दौरान धर्मतल्ला व निकटवर्ती इलाकों में यातायात व्यवस्था थम सी गयी थी. बड़ी संख्या में टैक्सी चालकों के हुजूम की शायद कल्पना भी पुलिस प्रशासन ने नहीं की थी. सोमवार को भी ऐसी स्थिति की संभावना है. इस बाबत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किये जायेंगे.
प्रदेश एटक के सचिव व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव का कहना है कि टैक्सी चालकों के प्रति राज्य सरकार का रवैया अड़ियल है, जिसे बदलना जरूरी है. महंगाई और डीजल-पेट्रोल की कीमत में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन टैक्सी चालकों की समस्याओं को सुलझाने की पहल राज्य सरकार नहीं कर रही है. टैक्सी रिफ्यूजल के नाम पर तीन से सात हजार तक का जुर्माना वसूलना अनुचित है. श्री श्रीवास्तव ने कहा है कि राज्य सरकार ने टैक्सी चालकों के लिए लगभग 120 टैक्सी स्टैंड बनाने की बात कही थी, जिसे पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा है कि प्रशासन व राज्य सरकार की ओर से जितनी धमकी मिलेगी, आंदोलन का रूप और आक्रामक होगा. दूसरी ओर, वेस्ट बंगाल टैक्सी वर्कर्स यूनियन के महासचिव अनादि साहू ने कहा है कि टैक्सी चालकों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन लगातार जारी रहेगा. टैक्सी रिफ्यूजल के नाम चालकों पर होनेवाले जुल्म को कतई बरदाश्त नहीं किया जायेगा. यही वजह है कि वामपंथी परिवहन संगठनों ने विरोध सभा का आह्वान किया है. वेस्ट बंगाल रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव सुभाष मुखोपाध्याय ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार टैक्सी चालकों की समस्याओं के बारे में बातचीत ही नहीं करना चाहती है. अंत: आंदोलन के सिवाय टैक्सी चालकों के पास दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा है.