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हिंदी मेला के 25 सालों का सफर भारत के लिए प्रेरणा स्रोत : डॉ विजय बहादुर

कोलकाता : महानगर में गुरुवार को हिंदी मेला का रजत जयंती वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम की शुरुआत प्रभातफेरी से की गयी. राजाबाजार स्थित फेडरेशन हॉल से रैली निकाली गयी, जो इलाके में हिंदी का अलख जगाते हुए राममोहन हॉल पहुंची. हिंदी मेला का उद्घाटन करते हुए साहित्यकार डॉ विजय बहादुर सिंह ने कहा कि […]

कोलकाता : महानगर में गुरुवार को हिंदी मेला का रजत जयंती वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम की शुरुआत प्रभातफेरी से की गयी. राजाबाजार स्थित फेडरेशन हॉल से रैली निकाली गयी, जो इलाके में हिंदी का अलख जगाते हुए राममोहन हॉल पहुंची.

हिंदी मेला का उद्घाटन करते हुए साहित्यकार डॉ विजय बहादुर सिंह ने कहा कि हिंदी मेला के 25 सालों का सफर पूरे भारत के लिए प्रेरणा है कि हर शहर में हिंदी मेला होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि दिल्ली में भी आये दिन नाटक के कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन आज का नाट्य मेला सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति है.
हिंदी मेला के उद्घाटन सत्र व नाट्य मेला का संचालन अनिता राय ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त सचिव प्रोफेसर संजय जायसवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी मेला युवाओं का, युवाओं के द्वारा और युवाओं के लिए है. मेले का विषय मातृभाषा प्रेम, भाईचारा व स्त्री का सम्मान है.
उन्होंने कहा कि हिंदी मेला का उद्देश्य साहित्य व कला को जोड़ते हुए सृजन का विस्तार करना है. प्रोफेसर राजेश मिश्र ने हिंदी मेला की 25 साल की यात्रा को कोलकाता में हिंदी की ऐतिहासिक यात्रा से जोड़ा. इस अवसर पर चर्चित रंगकर्मी सुशील कांति को ‘माधव शुक्ल नाट्य सम्मान’ प्रदान किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी मेला का यह 25वां साल है. हिंदी मेला युवाओं का सांस्कृतिक जनतंत्र है, जहां उन्होंने बंधुत्व, बौद्धिक स्वतंत्रता व कलात्मक सृजन की भावना का प्रसार करना चाहा है. विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेंस के प्रोफेसर डॉ आशुतोष ने कहा कि 25 साल में हिंदी मेला ने अपनी एक पहचान बनायी है.
कार्यक्रम के पहले दिन नाटक प्रतियोगिता के निर्णायक के रूप में महेश जायसवाल, जितेंद्र सिंह एवं अर्द्धेंदू चक्रवर्ती, जूही कर्ण, पूजा गुप्ता, दिव्या प्रसाद, सुशील पांडे, पूजा सिंह, रतन राजभर, विनोद कुमार यादव (मास्टर जी) और धनंजय प्रसाद उपस्थित थे. रामनिवास द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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