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जल्द ही देश का माहौल हो जायेगा शांत, बनेगा अखंड भारत : सुधांशु महाराज

कोलकाता : देश में जो अशांति का माहौल चारो ओर दिख रहा है. यह अस्थायी है. हमारे देश में विभिन्न मत, पंत और भाषाएं हैं. ये सब मिल कर एक अखंड भारत का सुंदर गुलदस्ता बनता है. भ्रम के चलते जो अशांत और आराजकता का वातावरण देश में दिख रहा है, वह जल्द ही दूर […]

कोलकाता : देश में जो अशांति का माहौल चारो ओर दिख रहा है. यह अस्थायी है. हमारे देश में विभिन्न मत, पंत और भाषाएं हैं. ये सब मिल कर एक अखंड भारत का सुंदर गुलदस्ता बनता है. भ्रम के चलते जो अशांत और आराजकता का वातावरण देश में दिख रहा है, वह जल्द ही दूर होगा. मेरा विश्वास है कि लोगों का भ्रम जल्द ही दूर होगा.

सभी लोग सद्भाव के साथ रहेंगे और अखंड भारत अक्षुण्ण बना रहेगा. विश्‍व जागृति मिशन ट्रस्ट (कोलकाता) की ओर से आयोजित तीन दिवसीय विराट भक्ति-सत्संग के अंतिम दिन परमपूज्य सुधांशु जी महाराज ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि हमारी बुद्धि में हमेशा परिवर्तन होता है. परिवर्तन के अनुसार मानव काम करता है.
जीवन यात्रा को सफल बनाने में मन, वचन, कर्म का विशेष महत्व दिया गया है. जीवन यात्रा लंबी हो, इसके लिए संयम जरूरी है. सेवा, साधना जरूरी है. जिद्द से विवाद होता है. परिवार में यदि तालमेल रहे तो सभी का जीवन सुख शांति से बीतता है. यदि परिवार का एक सदस्य विवाद के विरुद्ध काम करता है, तो वह असफल हो जाता है, क्योंकि अन्य सदस्य एकजुट हो जाता है. भगवान से जो मांगते हो, उसे दिमाग में रखना चाहिए.
महाराज ने कहा कि परिवार में यदि एकता रहे तो प्रेम की तरंगे प्रकट होने लगती हैं और जीवन भी सुलभ दिखता है. मोक्ष के लिए भगवान के पास जाना जरूरी है. भगवान प्रेम के भूखे होते हैं, वे अपने भक्तों का हमेशा ध्यान रखते हैं.
इस अवसर पर चित्रांगन प्रतियोगिता में लगभग 2000 से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया. मौके पर लायंस क्लब, कोलकाता नाॅर्थ फेमिना की अध्यक्ष लीला मुरारका के निर्देशन में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें सौ से अधिक लोगों ने रक्तदान किया. इस अवसर पर राधेश्याम गोयनका, सुशील गोयनका, धीरज अग्रवाल, सुभाष मुरारका, आरके अग्रवाल, रमेश नांगलिया, अशोक तोदी, शंकुतला तोदी, प्रमोद तोदी, मनीष बजाज, नूतन दूगड़, राखी अग्रवाल, किरण मिश्र आदि इस मौके पर मौजूद थे.
जीव और ईश्वर के बीच ही होता है सच्चा प्रेम : क्षमाराम
कोलकाता : जिसकी शक्ति से मन मनन करता है, उसे परमात्मा कहते हैं. ज्ञान और आदर्श ये दो तरह की लीलाएं भगवान करते हैं. भगवान की लीलाओं को मुख्य उद्देश्य हमेशा मंगलकारी ही होता है. हम जो भी काम करें. भगवान को अर्पित करें. प्रत्येक व्यक्ति का स्वाभाव नहीं, उसके भीतर स्थित परमात्मा को देखना चाहिए.
जीवन का यही उद्देश्य है कि मानव शरीर रहते हुए हम परमात्मा को प्राप्त करें. झूठे जगत में रहते हुए सत्य स्वरूप भगवान को जानना ही जीव का उद्देश्य होना चाहिए. सात दिनों तक शुकदेव मुनि से श्रीमद्भागवत कथा सुनने पर राजा परीक्षित गदगद हो गये. कृतज्ञता भाव से राजा परीक्षित शुकदेव मुनि को धन्यवाद कहते हुए रोने लगे और बोले कि आप चले जाइये : मैं मरने वाले हूं. यह भाव मेरे अंदर नहीं आयेगा.
आप मुझे आज्ञा दें. मैं अपने स्वरूप में स्थित हो जाऊं. जैसे ही परीक्षित अपने स्वरूप को ध्यान करते हुए दिव्य लोक में चले गये. उसके बाद शुकदेव मुनि और सारे ऋषि मुनि चले गये, क्योंकि इन ऋषियों को रहते तक्षक अर्थात मृत्यु आ ही नहीं सकती थी. भगवान की लीलाओं में रस आने पर सांसारिक प्रेम घटने लगता है. वास्तव में प्रेम जीव और ईश्वर के बीच ही होता है. सांसरिक प्रेम, प्रेम नहीं, मोह होता है.
ये बातें हावड़ा सत्संग समिति के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए सिंहस्थल पीठाधीश्वेर स्वामी क्षमाराम महाराज ने विवेक विहार क्लब हाउस सभागार में कहीं. कार्यक्रम को सफल बनाने में मनमोहन मल्ल, निर्मला मल्ल, पुरुषोत्तम पचेरिया, पवन पचेरिया, हरिभगवान तापड़िया आदि सक्रिय रहे. महावीर प्रसाद रावत ने बताया कि सोमवार को कथास्थल पर सवा बारह बजे से गीता का सामूहिक पाठ होगा.

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