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रक्त की कमी को दूर करना है लक्ष्य

मुकेश तिवारी, पानागढ़ : रक्तदान को महादान कहा जाता है. इंसान और इंसानियत के जज्बात को समझते हुए राज्य में पहली बार चिकित्सा जगत में कुछ नया होने जा रहा है. राज्य में पहली बार बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल ऐसा करने जा रहा है. रक्त की भारी कमी को देखते हुए बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल […]

मुकेश तिवारी, पानागढ़ : रक्तदान को महादान कहा जाता है. इंसान और इंसानियत के जज्बात को समझते हुए राज्य में पहली बार चिकित्सा जगत में कुछ नया होने जा रहा है. राज्य में पहली बार बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल ऐसा करने जा रहा है. रक्त की भारी कमी को देखते हुए बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ तथा मेडिकल के छात्र-छात्राओं व कर्मियों ने संयुक्त रूप से रक्तदान में हिस्सा लेने की बात कही है.

इसकी पहल शुरू कर दी गई है. बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रक्त संग्रह ग्रुप को लेकर प्रबंधन ने कार्य शुरू कर दिया है. रक्त संग्रह ग्रुप में बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ छात्र-छात्राएं तथा इससे जुड़े अन्य कर्मी हिस्सा लेंगे. समूचे वर्ष भर रक्त की कमी को पूरा करने में मदद करेंगे.
ताकि किसी मरीज को रक्त के करण असमय मौत के गाल में ना समा जाना पड़े. बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 400 चिकित्सक, 600 नर्सिंग स्टाफ, प्रतिवर्ष मेडिकल के डेढ़ सौ छात्रों के आने से कुल 600 मेडिकल के छात्र-छात्राएं, पासआउट छात्रों की संख्या भी 600 तथा 600 स्केलेवेजिंग स्टाफ मौजूद है.
2800 मेडिकल कॉलेज के समस्त चिकित्सक नर्स छात्र तथा कर्मी है. बर्दवान मेडिकल कॉलेज प्रबंधन सभी का ब्लड ग्रुप लेकर यह ग्रुप तैयार कर रहा है. उक्त ग्रुप बर्दवान मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक समेत रक्त की कमी से परेशान मरीजों को रक्तदान कर उन्हें मदद करेगी.
बताया जाता है कि अस्पताल में ओ पॉजिटिव रक्त नहीं रहने के कारण एक मरीज की बढ़ी परेशानी को देखते हुए अस्पताल के एक चिकित्सक ने स्वेच्छा पूर्वक उक्त रक्तदान कर अपने मानवीय रूप का परिचय दिया था. इसकी प्रशंसा अस्पताल डेपुटी सुपर ने की.
डेपुटी सुपर डॉक्टर अमिताभ साहा ने बताया मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक में रक्त की भारी कमी को देखते हुए बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, छात्र-छात्राओं तथा अन्य कर्मियों को लेकर उनके रक्त ग्रुप को संग्रह कर एक ग्रुप तैयार किया गया है. सुपर बताते हैं कि प्रतिमाह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 2500 बोतल रक्त लगता है.
ऐसे में प्रतिमाह 500 से 1500 यूनिट रक्त की कमी रह जा रही है. विभिन्न संस्थाओं तथा क्लबों से संग्रह के बाद भी समस्या बनी हुई है. सुपर बताते हैं कि ब्लड बैंक से रक्त देते समय कई विषयों को लेकर विचार करना पड़ता है. मुख्य रूप से थैलेसीमिया पीड़ित रोगियों को सबसे पहले ब्लड की जरूरत पड़ती है. उसके बाद शिशु तथा गर्भवती महिलाओं को रक्त का ध्यान रखा जाता है.
इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को रक्त की आवश्यकता पर बल दिया जाता है. ऐसे में प्रतिदिन ही रक्त को लेकर भारी समस्याओं से जूझना पड़ता है. वे बताते हैं कि एक यूनिट रक्त को तीन भागों में विभक्त करके रखना पड़ता है. रक्त की श्वेत कणिका, लोहित कणिका तथा प्लेटलेट के रूप में संग्रह कर रखना पड़ता है. ऐसे में लाल रक्त 35 दिन, प्लेटलेट रक्त 5 दिन तथा श्वेत रक्त एक वर्ष तक रहता है.
वे बताते हैं कि संस्थाओं तथा क्लब के द्वारा जो रक्त संग्रह किया जाता है उसके बाद भी रक्त की भारी कमी को देखते हुए हम लोगों ने बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्क्वायड टीम बनाने जा रहे हैं. उक्त टीम में या ग्रुप में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक ,नर्सिंग स्टाफ, छात्र-छात्राएं तथा अन्य कर्मी गण मौजूद रहेंगे.
उनका ब्लड ग्रुप का एक चार्ट तैयार किया जाएगा ताकि असमय या ब्लड बैंक में ब्लड की कमी को देखते हुए काम में लगाया जा सके. इस पर विचार विमर्श किया गया है. सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ ने हामी भरी है.
जल्द ही इस पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा. राज्य में अपने आप में यह प्रथम मेडिकल कॉलेज अस्पताल होगा जहां चिकित्सक ,नर्सिंग स्टाफ, छात्र-छात्राएं तथा अन्य कर्मी रक्तदान महादान में भागीदारी निभा पाएंगे.

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