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रोगियों के लिए वरदान थे वीरजी

कोलकाता : ‘तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पीयही न पान’. नि:स्वार्थ सेवा वह भी जल पिलाना, जड़ी-बूटी से रोगी को ठीक करना, भीगे चने बांटना, आते-जाते राहगीरों की मदद करना, स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम सिखाना आदि करने वाले वीरजी के नाम से प्रसिद्ध हीरालाल नारसरिया वीरजी की आज 25वीं पुण्यतिथि है. वीरजी ने […]

कोलकाता : ‘तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पीयही न पान’. नि:स्वार्थ सेवा वह भी जल पिलाना, जड़ी-बूटी से रोगी को ठीक करना, भीगे चने बांटना, आते-जाते राहगीरों की मदद करना, स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम सिखाना आदि करने वाले वीरजी के नाम से प्रसिद्ध हीरालाल नारसरिया वीरजी की आज 25वीं पुण्यतिथि है.

वीरजी ने अनेक सामाजिक संस्थाओं में अपना योगदान किया. बुधिया गद्दी समाज के चिंतक गंगा प्रसाद जी बुधिया ने बुधिया गद्दी वीरजी को संरक्षण हेतु आग्रह किया. सेवाभावी वीरजी स्वीकार कर बुधिया गद्दी से ही सेवा कार्य किया.
दस-ग्यारह बड़े-बड़े मिट्टी के घड़ों तथा ड्रामों में प्रतिदिन दो-तीन बार पीने का पानी स्वयं सरकारी नल से भरना वीरजी की दिनचर्या थी. प्रतिदिन आम जनों को अपने हाथों से पानी पिलाते थे तथा चना वितरित करते थे. पीड़ित रोगी सीधे वीरजी के पास आते थे और अपने इलाज के लिए जड़ी-बूटी लेकर जाते थे और स्वस्थ होकर उनके पास पुन: आते थे.
1962 में चीन आक्रमण के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आह्वान पर वीरजी अपने साथियों के साथ शहरी गृह रक्षा वाहिनी में शामिल हुए.
एक शहरी होमगार्ड के रूप में वर्षो तक देश तथा समाज की सेवा की. निष्ठा, तत्परता और अनुशासन के लिए उन्हें सरकार की तरफ से प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया था. जगन्नाथपुर रथ यात्रा मेला में वीरजी अपनी सेवा एक स्वयंसेवक के रूप में देते थे. हीरालाल नारसरिया वीरजी की स्मृति में 15 अगस्त 2001 को रांची के वर्द्धमान कंपाउंड काली मंदिर परिसर में आरोग्यशाला प्रारंभ की गयी. यहां इलाज और दवा नि:शुल्क है. लगभग 100 मरीज प्रतिदिन आते हैं.

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