मौसम साफ होने से सरसों के फूलों से भरपूर शहद संग्रह कर रहे मधुमक्खियां
मालदा : लंबे एक दशक के बाद जाड़े का मौसम मधुमक्खी पालकों के लिये अनुकूल साबित हो रहा है. धूप खिली रहने से मधुमक्खियां सरसों के फूलों से शहद का संग्रह कर रही हैं. इससे इस बार मधुमक्खीपालकों को अधिक लाभ होने की उम्मीद है. संयोग से इस बार मालदा जिले में सरसों की फसल भी काफी अच्छी हुई है जिसका लाभ मधुमक्खीपालकों को मिल रहा है.
मधुमक्खी पालकों का कहना है कि अधिकतर जाड़ों में आकाश में बादल छाये रहने से मधुमक्खियां बक्से से बाहर निकलती नहीं हैं जिससे उन्हें चीनी खिलानी पड़ती है. लेकिन इस बार मधुमक्खी पालकों को चीनी पर खर्च बहुत कम करना पड़ेगा जिससे उनके लाभ की मात्रा अधिक रहने की संभावना है.
मालदा मधुमक्खी पालन व शहद प्रसंस्करण उद्यम समवाय के अध्यक्ष सत्यजित मंडल ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में मधुमक्खीपालन एक कुटीर उद्योग के रुप में लोकप्रिय हो रहा है. पूरे जिले में साढ़े चार हजार मधुमक्खीपालक हैं. कई इलाकों में स्वनिर्भर दल मधुमक्खीपालन कर अतिरिक्त आय कर रहे हैं.
लेकिन इस बार कई साल बाद जाड़े का मौसम अनुकूल साबित हो रहा है. उल्लेखनीय है कि ओल्ड मालदा, इंगलिशबाजार, हबीबपुर, बामनगोला, गाजोल, चांचल एक व दो नंबर, रतुआ एक व दो नंबर और कालियाचक में मधुमक्खीपालन हो रहा है. मधुमक्खीपालन के लिये डेढ़ से दो फीट लकड़ी के बक्से में मधुमक्खियों को रखा जाता है. एक एक बक्से को 20-25 जालियों का फ्रेम लगाना पड़ता है. उसमें एक छेद होता है जिसमें से मधुमक्खियां आवाजाही करती हैं.
गौरतलब है कि तापमान के उपर ही शहद का उत्पादन निर्भर करता है. ओल्ड मालदा ब्लॉक के शांतिपुर इलाके के किसान नारायण मंडल और सुदेव मंडल ने बताया कि राज्य सरकार की मदद से उन लोगों ने मधुमक्खीपालन शुरु किया है. इन दिनों जाड़े में भी बादल और कुहासे की कमी होने से मौसम साफ रहता है. इससे मधुमक्खियां सरसों के फूलों से शहद का संग्रह कर रही हैं. इससे इस बार अधिक लाभ की उम्मीद कर रहे हैं.