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पर्यावरण संरक्षण का संदेश देगी शानपुर बारोवारी कमेटी की पूजा

हावड़ा : पर्यावरण प्रदूषण आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या है. प्रदूषण रोकने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान के जरिये लोगों को सजग किया जा रहा है. इसके मद्देनजर ही हावड़ा के शानपुर बारोवारी पूजा कमेटी ने इस वर्ष बतौर दुर्गापूजा थीम इको फ्रेंडली का चयन किया है. कमेटी द्वारा बनाये जा रहे पंडाल […]

हावड़ा : पर्यावरण प्रदूषण आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या है. प्रदूषण रोकने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान के जरिये लोगों को सजग किया जा रहा है. इसके मद्देनजर ही हावड़ा के शानपुर बारोवारी पूजा कमेटी ने इस वर्ष बतौर दुर्गापूजा थीम इको फ्रेंडली का चयन किया है. कमेटी द्वारा बनाये जा रहे पंडाल में बांंस की कारीगरी देखने को मिलेगी.

मंडप के अंदर के हिस्से को बेंत व लकड़ियों को छोटे-छोटे हिस्से में काटकर सजाया गया है. पंडाल के अंदर जो झालर लगाये गये हैं, वह भी बेंत के बने हुए हैं. पंडाल के अंदर लकड़ी से बने पुतुल को भी रखा गया है. यहां तक कि दुर्गा प्रतिमा के लिए जेवर भी बांस के बनाये गये हैं. पंडाल व प्रतिमा का निर्माण बापी देवनाथ कर रहे हैं. मूर्ति पंडाल परिसर में ही बनायी जा रही है. इस बार पूजा का 59वां साल है. पंडाल के बाहर हिस्से को भी बेंत और लकड़ियों से सजाया गया है.

पूजा आयोजकों ने बताया कि पर्यावरण पर खतरा बहुत पहले से मंडरा रहा है. खास तौर पर शहरी अंचल में स्थिति बहुत भयावह है. शहरवासी, शुद्ध हवा के लिए तरस रहे हैं. पर्यावरण पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, लेकिन कार्यक्रम खत्म होते ही लोग सब भूल जाते हैं. यह गलत है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की कोशिश की गयी है. प्लास्टिक का उपयोग नहीं करें, इसी बात को ध्यान में रखते हुए पंडाल के अंदर व बाहर बेंत और लकड़ियों से सजावट की जा रही है. विश्वास है कि यह थीम श्रद्धालुओं को पसंद आयेगा. पूजा का उद्घाटन चतुर्थी के दिन सांसद दिलीप घोष व प्रदेश महासचिव संजय सिंह करेंगे. श्री सिंह इस पूजा के मुख्य सलाहकार भी हैं. पूजा का बजट 14 लाख है.

महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में पूरे देश में प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. राष्ट्रपिता को सच्ची श्रद्धांजलि देने का यही सही अवसर है कि उनकी जयंती पर हम सभी पर्यावरण बचाने के लिए आगे आयें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिल सके. पूरे पंडाल की कारीगरी बांस, बेंत और लकड़ियों को छोटे-छोटे हिस्से में काटकर की गयी है. किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं हुआ है. श्रद्धालुओं को हमारी थीम पसंद आयेगी.

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