22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भाजपा की मदद से हावड़ा में जीती तृणमूल !

कोलकाता: हावड़ा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का परोक्ष रूप से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी का समर्थन करने का मुद्दा उठा था. बुधवार को चुनाव परिणाम घोषित हो गया. तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व फुटबॉलर प्रसून बनर्जी ने 26,965 मतों […]

कोलकाता: हावड़ा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का परोक्ष रूप से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी का समर्थन करने का मुद्दा उठा था. बुधवार को चुनाव परिणाम घोषित हो गया.

तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व फुटबॉलर प्रसून बनर्जी ने 26,965 मतों से माकपा के उम्मीदवार श्रीदीप भट्टाचार्य को पराजित कर जीत हासिल की है. माकपा के उम्मीदवार ने तृणमूल कांग्रेस को कांटे का टक्कर दी. श्रीदीप को जहां 3,99,422 मत मिले, वहीं तृणमूल कांग्रेस के प्रसून बनर्जी को 4,26,387 मत मिले. हालांकि जीत के अंतर को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं.

कांग्रेस ने भी की थी टिप्पणी
चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया जताते हुए प्रदेश कांग्रेस के केंद्रीय प्रभारी शकील अहमद ने टिप्पणी की थी कि कांग्रेस से नाता तोड़ कर अकेले चुनाव लड़ी ममता बनर्जी को भाजपा ने यह सीट तोहफा दिया है. श्री अहमद के बयान को भाजपा के आला नेता व तृणमूल कांग्रेस के आला नेता प्रत्यक्ष रूप से मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन ऑफ द रिकार्ड स्वीकार कर रहे हैं कि भाजपा की मदद से ही तृणमूल यह सीट जीत पायी है. भाजपा के लगभग 50 हजार मत हैं. उनका अधिकांश मत तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को मिला है. यदि भाजपा का मत तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को नहीं मिलता, तो तृणमूल कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना संभव नहीं हो पाता.

विकल्प के रूप में तृणमूल
कुछ दिन पहले भाजपा छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि चूंकि चुनाव में भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं था. माकपा व कांग्रेस भाजपा की स्वाभाविक राजनीतिक शत्रु है. ऐसी स्थिति में विकल्प केवल तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार ही था.

हावड़ा में भाजपा के लगभग 50 हजार मतों में से लगभग 35 हजार मत तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को मिला, बाकी 8921 मत निर्दलीय उम्मीदवार (जो भाजपा समर्थित माने जा रहे थे) रंजन पाल को मिला. चूंकि रंजन पाल निदर्लीय उम्मीदवार थे. इस कारण उन्हें भाजपा को पूरा वोट नहीं मिल पाया. भाजपा का मत तृणमूल को मिलने के कारण ही चुनाव में वह अपना नैया पार कर पायी.

गौरतलब है कि दो वर्ष पहले हुए विधानसभा चुनाव में हावड़ा लोकसभा की सभी सात सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को 1,86,000 मतों की बढ़त थी. इससे पहले 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस के अंबिका बनर्जी ने 37 हजार मतों से माकपा के स्वदेश चक्रवर्ती का पराजित किया था, लेकिन इस चुनाव में यह अंतर सिमट कर 26,965 का रह गया है.

गौरतलब है कि वर्ष 1999 में जब तृणमूल कांग्रेस, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, तब तृणमूल ने इस सीट पर 6535 मतों या 0.64 प्रतिशत मतों से जीत दर्ज की थी. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने इस सीट पर 37,723 मत हासिल किये, जो कुल डाले गये मतों का 3.8 प्रतिशत था. भाजपा को वर्ष 2011 में इस लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में 4.5 प्रतिशत मत मिले थे. हावड़ा लोकसभा उपचुनाव परिणाम भी इसी ओर इशारा करता है. अटकलें हैं कि भाजपा इस तरह वर्ष 2014 में तृणमूल के लिए दरवाजे खुले रखना चाहती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें