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राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए 15 साल से प्रयासरत : राज्यपाल

कोलकाता : राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए 15 सालों से प्रयास कर रहा हूं. लंबे समय से राजस्थानी भाषा को आठवीं सूची में स्थान दिलाने के लिए कार्य कर रहा हूं. इसके लिए हर स्थिति में आगे बढ़ना चाहेंगेये बातें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को राजस्थान प्रचारिणी सभा, सीकर […]

कोलकाता : राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए 15 सालों से प्रयास कर रहा हूं. लंबे समय से राजस्थानी भाषा को आठवीं सूची में स्थान दिलाने के लिए कार्य कर रहा हूं. इसके लिए हर स्थिति में आगे बढ़ना चाहेंगेये बातें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को राजस्थान प्रचारिणी सभा, सीकर नागरिक परिषद व राजस्थान परिषद के संयोजन में महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की जन्म शताब्दी पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं. राज्यपाल के साथ उनकी धर्मपत्नी सुदेश धनखड़ भी मौजूद थीं. राज्यपाल ने कहा कि इतने बड़े व्यक्ति की जन्म शताब्दी में मन दुखित है कि बहुत कम लोग ही इतने महान विभूति के लिए चिंतित हैं.

उन्होंने कार्यक्रम को आयोजित करनेवाली राजस्थानी सामाजिक संस्थाओं को महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की जन्म शताब्दी पर राजभवन में कार्यक्रम का आमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को एक सप्ताह तक भी चलाया जा सकता है. लेकिन उन्होंने यह बात भी कही कि इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा बच्चों की उपस्थिति होनी चाहिए.
राज्यपाल और उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी सहर्ष कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. राज्यपाल ने यह भी कहा कि वह कन्हैयालाल सेठिया की सुधानगढ़ की हवेली पर जनहित के लिए राज्य व राष्ट्र स्तर पर कार्य करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, इसके लिए वह सोमवार को जयपुर के मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे. श्री धनखड़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि उन्होंने 40 साल वकालत की है, शरीफ लोगों से कम ही मिलना हुआ है.
उन्होंने कहा कि पहली बार इस तरह से कविता सुना और लगा जैसे किसी ने उन पर जादू कर दिया. कार्यक्रम में जयप्रकाश सेठिया के पोते अर्हम सेठिया चौथी कक्षा के बच्चे की कविता को सुन कर वह बहुत खुश हुए.
उद्योगपति नंदलाल रूंगटा ने कहा कि महाकवि कन्हैयालाल को तभी सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी, जब सभी मारवाड़ी अपने बच्चों को मातृभाषा सिखायेंगे. उद्योगपति प्रह्लाद राय अग्रवाल ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया की कविताएं उनकी कृतियां नहीं, बल्कि राजस्थान की धरोहर हैं.
राजस्थानी प्रचारणी सभा के अध्यक्ष रतन शाह ने कहा कि कन्हैयालाल जी की कविताएं आध्यात्म व कई विषयों की गहन अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल के प्रोत्साहन से उन्हें राजस्थानी भाषा के लिए काम करने का दोगुना हौसला मिला है.
कार्यक्रम में महाकवि कन्हैयालाल सेठिया के पुत्र जयप्रकाश सेठिया, प्रह्लादराय गोयनका, सीकर नागरिक परिषद के घनश्याम शोभासरिया, राजस्थान परिषद के शार्दुल सिंह जैन भी मंच उपस्थित थे.

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