कोलकाता: हेड फोन पर बात करने में व्यस्तता की वजह से 80 प्रतिशत युवाओं की जान ट्रेन के चपेट में आने से होती है. इसके लिए पूर्व रेलवे की ओर से समय-समय पर आमलोगों के बीच सचतेना पैदा करने के लिए कदम उठाये जाते हैं, इनमें स्टेशन पर घोषणाएं, पोस्टर और सचेतना पैदा करने के लिए अखबार में करोड़ों का विज्ञापन दिया जाता है. इसके बाद भी युवाओं में सचेतना के नाम पर कुछ नहीं हो पता है.
रेलवे के प्रयास विफल
इस संबंध में सियालदह रेल पुलिस के डीएसपी हेडक्वार्टर सुबोध बलाधिकारी ने कोलकाता पुलिस का हवाला देते हुए बताया कि कोलकाता पुलिस कुछ प्रमुख रास्ते पर धर-पकड़ करती है. हेड फोन पर बात करते हुए रास्ता पार करने के दौरान युवाओं से स्पॉट फाइन वसूला जाता है. रेल ट्रैक पर चलना गैर कानूनी है.
रेल पुलिस भी यात्रियों में सचेतना पैदा करने के लिए धर-पकड़ करने का प्रयास करती है, लेकिन ऐसा करने पर ट्रेन के बोगी में सवार 500 यात्री रेल पुलिस के इस कार्रवाई के विरोध में चले आते हैं, वे हंगामा आरंभ कर देते हैं, रेल पुलिस को बाध्य होकर अपनी कार्रवाई बंद कर पीछे हटना पड़ता है.
ज्यादातर कॉलेजों के स्टूडेंट
उन्होंने बताया कि रेल लाइन पार करने के दौरान रेलवे ट्रैक पर ज्यादातर कॉलेज के छात्र-छात्रएं हेड फोन पर बात करते हुए नजर आते है. हेड फोन पर बात करने के दौरान ज्यादातर युवा ही रेल ट्रैक पर ट्रेन के चपेट में आते हैं.
उन्होंने लोगों में रेल पुलिस के साथ स्थानीय नगरपालिका, ग्राम पंचायत और स्थानीय क्लब को सामने आने की अपील की, ताकि हेड फोन पर बात करने के दौरान जान गांवने के युवाओं की प्रवृति को काफी हद तक कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि टीवी चैनल भी सचेतना पैदा करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, हर घर में लोग विभिन्न टीवी सीरियल और न्यूज चैनल देखते हैं, धूमपान के विरुद्ध सचेतना पैदा करने के प्रचार दिखाया जाता है, लेकिन हेडफोन जनलेवा होने के बारे में प्रचार नहीं आता है. डीएसपी हेडक्वार्टर सुबोध बलाधिकारी ने कहा हर चैनल दिन भर में पांच बार सिर्फ आठ-आठ सेकेंड का प्रचार दिखा सकते हैं. रेल लाइन पार करने के दौरान हेड फोन का उपयोग न करें, तो बड़ी संख्या में लोगों को जगरूक किया जा सकेगा.