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महानगर में 39 डिग्री सेल्सियस पहुंचा पारा कोलकाता : महानगर में झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही. चिलचिलाती धूप ने लोगों को परेशान कर रखा है. गुरुवार को महानगर का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. चिलचिलाती धूप के बढ़ने के साथ ही बीमार होने का खतरा भी बढ़ गया है, जिसमें सबसे अहम है […]

महानगर में 39 डिग्री सेल्सियस पहुंचा पारा

कोलकाता : महानगर में झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही. चिलचिलाती धूप ने लोगों को परेशान कर रखा है. गुरुवार को महानगर का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. चिलचिलाती धूप के बढ़ने के साथ ही बीमार होने का खतरा भी बढ़ गया है, जिसमें सबसे अहम है हीट स्ट्रोक यानी लू लगना. लू उन अधिक गर्म और शुष्क हवाओं को कहा जाता है, जो मई-जून यानी गर्मी के महीने में चलती है और लू लगने का मतलब है शरीर में पानी की कमी हो जाती है.

चिकित्सकों की माने तो लंबे समय तक गर्मी में रहने से शरीर में ऐंठन, थकावट और हीट स्ट्रोक हो सकता है. अत्यधिक पसीना निकलने से मूत्र और लार के रूप में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स का प्राकृतिक नुकसान होता रहता है, जिससे डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट्स का तीव्र असंतुलन हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि अपना ध्यान रखें, ताकि गंभीर बीमारियों से बच सके.

लू लगने पर शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है और शरीर में पानी और नमक की ज्यादा कमी हो जाती है. दरअसल जब शरीर का थर्मोस्टेट सिस्टम शरीर को वातारवरण के अनुकूल ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है तो शरीर में गर्मी बढ़ जाती है. इससे शरीर की ठंडक कम हो जाती है और लू लग जाती है. साथ ही लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है और ज्यादा प्यास लगती है.

लू से बचने के लिए क्या करें

पानी की आपूर्ति शरीर में होनी चाहिए

डॉ सपन विश्वास ने बताया कि लू लगने की अहम वजह शरीर में पानी की कमी होना है, इसलिए किसी ना किसी रूप में पानी की आपूर्ति शरीर में होनी चाहिए. ऐसे में आप आम का पन्ना लें, जो लू से बचाने में काफी कारगर साबित होता है. इसके अलावा नींबू पानी, सादा पानी, फल का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरा, लस्सी आदि के माध्यम से पानी लेते रहें. ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें.

इस मौसम में होती हैं ये बीमारियां

डॉ विश्वास के अनुसार गर्मियों में अत्यधिक पसीना आने के कारण वयस्कों में पानी की आवश्यकता 500 मिलीलीटर तक बढ़ जाती है. यह टाइफाइड, पीलिया और दस्त का मौसम भी है. इसके कुछ कारणों में पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना और खराब भोजन, पेयजल व हाथों की स्वच्छता न रखना शामिल है. उन्होंने कहा कि लौकी, तोरी, टिंडा, कद्दू आदि गर्मियों की सब्जियां हैं. इन सभी में पानी की मात्रा अधिक होती है और ये मूत्रवर्धक होती हैं. गर्मी में नारियल पानी भी काफी लाभदायक होता है. यह आद्र्रता संबंधी विकारों से प्रतिरक्षा प्रदान करता हैं.

ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं

पसीने के माध्यम से खोये हुए तरल की भरपाई करने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए. अधिक ऊंचाई पर रहने वाले व्यक्तियों को भी अधिक पानी पीने की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि हवा में ऑक्सीजन की कमी अधिक तेजी से सांस लेने और श्वसन के दौरान नमी का अधिक नुकसान होने का संकेत देती है. गर्मी के महीनों में अधिक पानी पीना चाहिए, क्योंकि गर्मी और अतिरिक्त समय बाहर बिताने से तरल का अधिक नुकसान हो सकता है.

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