आसनसोल : यदि आप चाहते हैं कि आपको किसी एक राजनीतिक पार्टी के झुकाव रखनेवाले के तौर पर नहीं जाना जाये, तो आप आसनसोल के लोगों के पदचिह्नों पर चल सकते हैं. वे हर राजनीतिक पार्टी की बैठक में शामिल होते हैं, ताकि उन्हें किसी एक दल से जोड़कर नहीं देखा जाये.
पश्चिम बंगाल के महानगरीय चरित्रवाले शहर व कोयला कारोबार के प्रमुख केंद्र आसनसोल के लोग खुलकर अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं के बारे में बात करने से बचते हैं. उनका कहना है कि इस प्रकार की बात करने के लिए माहौल ठीक नहीं है. आसनसोल में इस चुनावी मौसम में हिंसा की छिटपुट घटनाएं देखने को मिली हैं. आसनसोल सीट पर 29 अप्रैल को मतदान होगा. यहां राम नवमी की झांकी के दौरान हिंसा में पथराव हुआ था, बम फेंके गये थे, वाहनों और मकानों को आग लगायी गयी थी.
एक वाम समर्थक और आसनसोल निवासी ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा : मैं (राजनीतिक सभाओं में) जाता हूं और सामने बैठता हूं और सुनिश्चित करता हूं कि स्थानीय व्यक्ति मुझे देख ले. इसके बाद मैं चला आता हूं. उसने कहा : पार्टी कार्यकर्ता, खासकर सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य लोगों को परेशान करते हैं और लगभग हर रोज यहां हिंसा होती है. उसने कहा : हमें अपने चेहरे दिखाने होते हैं, अन्यथा उन्हें पता चल जायेगा कि परिवार में से किसी से सभा में भाग नहीं लिया. कई अन्य लोगों ने भी उसकी बात का समर्थन किया. कई लोगों ने कहा कि वे भी ऐसा ही करते हैं और मौका मिलने पर सभाओं से निकल आते हैं.
भाजपा से मौजूदा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा : शहर में तनाव है. इस बात में कोई शक नहीं. हर रात छापे मारे जा रहे हैं, हमारे कार्यकर्ताओं को पुलिस उठा रही है, उनके मकान नष्ट किये जा रहे हैं. 2014 में इस सीट से चुनाव जीतनेवाले सुप्रियो के सामने इस बार तृणमूल की मुनमुन सेन की चुनौती है. तृणमूल नेता मलय घटक ने राज्य सरकार के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि लोगों को पता है कि ‘तनावपूर्ण’ हालात कौन पैदा कर रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस, वामदल और भाजपा तृणमूल को हराने के लिए मिलकर ये झूठे आरोप लगा रहे हैं.
भाजपा के 70 वर्षीय पार्टी कार्यकर्ता स्वप्न राय ने राजनीति के संबंध में सवाल किये जाने पर कहा : यहां सार्वजनिक तौर पर इस बारे में बात नहीं की जाती. क्या पता, कौन बात सुन रहा हो. अब वह समय नहीं रहा, जब हम चाय की दुकान पर खुलकर चर्चा कर सकते थे.