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हावड़ा : लावारिश कुत्तों का बढ़ता आतंक, परेशान शहरवासी
हावड़ा : शहर के विभिन्न इलाकों में लावारिश कुत्तों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने से शहरवासियों के बीच आतंक का माहौल है. शहर की शायद ही कोई गली आैर सड़क हो, जहां कुत्तों का झुंड न मिले. शहरवासी इन कुत्तों से इतने आतंकित हैं कि रात को डर-डर कर उन्हें घर जाना पड़ रहा है. […]
हावड़ा : शहर के विभिन्न इलाकों में लावारिश कुत्तों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने से शहरवासियों के बीच आतंक का माहौल है. शहर की शायद ही कोई गली आैर सड़क हो, जहां कुत्तों का झुंड न मिले.
शहरवासी इन कुत्तों से इतने आतंकित हैं कि रात को डर-डर कर उन्हें घर जाना पड़ रहा है. चिंता की बात यह भी है कि हावड़ा नगर निगम के पास पशु विभाग नहीं है.
लावारिश कुत्तों से शहरवासियों को कैसे निजात दिलाया जाये, इसके लिए निगम के पास कोई संसाधन आैर योजना नहीं है. कुत्तों की नसबंदी आैर पागल हो चुके कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर निगम के पास कोई उपाय नहीं है.
यही कारण है कि हावड़ा जिला अस्पताल में उन मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें कुत्ते काट रहे हैं. शहरवासी अब इन लावारिश कुत्तों से बचने के लिए खुद उपाय निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात का भी डर है कि पशु प्रेमी संगठन उनके लिए परेशानी न खड़े कर दें.
जिला अस्पताल के अधीक्षक नारायण चट्टोपाध्याय ने बताया कि इस बात में कहीं कोई संशय नहीं है कि लावारिश आैर पागल कुत्तों की संख्या काफी अधिक है. इसे अगर रोका नहीं गया, तो हमारे लिए परेशानी बढ़ जायेगी.
उन्होंने कहा कि तीन माह पहले तक रोजाना 40 लोग कुत्ता काटने की वजह से अस्पताल पहुंचते थे. अब यह संख्या बढ़कर 100 तक पहुंच गयी है. यह चिंता का विषय है. अस्पताल में एंटी रैबिज इंजेक्शन की अब तक कमी नहीं है, लेकिन जिस तरीके से मरीजों की संख्या बढ़ रही है, एक ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
कम से कम पागल कुत्तों को पकड़ना बेहद जरूरी हो गया है. कुत्ते के हिंसक होने के पीछे क्या कारण है, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि खाना नहीं मिलने पर कुत्ते हिंसक हो जाते हैं आैर अपना आपा खो बैठते हैं.
पहले शहर में कूड़ादान खुला हुआ रहता था लेकिन अब निगम की ओर से उसे पूरी तरह ढक दिया गया है. कुत्तों को खाना नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि कुत्ते हिंसक हो रहे हैं. खाना नहीं मिलने से कुत्ते खुद आपस में लड़ रहे हैं, जिसके कारण वह घायल हो जाते हैं. इलाज नहीं होने के कारण उनका घाव नासुर हो जाता है. यह भी एक बड़ी समस्या है. घाव के नासुर होने से दुर्गंध फैलता है, जिससे आैर परेशानी बढ़ जाती है.
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