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मैं पहले लेखक था, बाद में अभिनेता बना : सौरभ शुक्ला

कोलकाता : महानगर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला में आयोजित तीन दिवसीय ‘6वें कोलकाता साहित्य उत्सव’ का समापन कई प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार, कवि, चिंतक, फिल्म निदेशक के साथ गंभीर विषयों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, कला प्रदर्शन के साथ हुआ. जिसने लोगों को सोचने की नयी दिशा दी और साहित्य की महत्ता को समझाया. करीब 65 […]

कोलकाता : महानगर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला में आयोजित तीन दिवसीय ‘6वें कोलकाता साहित्य उत्सव’ का समापन कई प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार, कवि, चिंतक, फिल्म निदेशक के साथ गंभीर विषयों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, कला प्रदर्शन के साथ हुआ.

जिसने लोगों को सोचने की नयी दिशा दी और साहित्य की महत्ता को समझाया. करीब 65 साहित्य की बड़ी हस्तियों ने पूरे विश्व से आकर इस उत्सव में भाग लिया. कोलकाता साहित्य मेला का अंतिम दिन बच्चों के सत्र के साथ शुरू हुआ जिसका विषय था-‘चिल्ड्रेन सेशन : लाइक अ गर्ल’ जिसके तहत बच्चों को सरेआम लिंग, मानसिक स्वास्थ्य व जाति के नाम पर होने वाले भेदभाव के विषय में बोलने के लिए जागरूक किया गया. इस कार्यक्रम को लेखिका अर्पणा जैन ने संचालित किया.

दूसरे सत्र में ‘द चेंजिंग फेस ऑफ इंडिया पब्लिशिंग पर बात हुई. इसमें कोलकाता साहित्य उत्सव की निदेशक सुजाता सेन के संचालन में अर्पिता दास, एस आनंद, इशा चटर्जी, आनंदा लाल, अदिति माहेश्वरी से बातचीत हुई. इसी के साथ ‘टेलिंग द स्टोरी ऑफ अनहर्ड वाइस’ जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा हुई. अंतत: सातवें सत्र में दुई देश एक बांगला: स्टोरीस फ्रॉम एकरॉस द बॉडर्स पर परिचर्चा हुई.

नेताजी की मौत ताइपाई में 18 अगस्त 1945 को हो गयी थी: आशीष रे
बीबीसी, सीएनएन व अन्य कई अंतर्राष्ट्रीय चैनलों को अवॉर्ड जीते हुए पत्रकार एवं चर्चित क्रिकेट कमेंटेटर आशीष रे ने शनिवार को अपनी नेताजी की जीवनी पर लिखी पुस्तक ‘लेड टू रेस्ट’ की चर्चा करते हुए कहा कि नेताजी की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है, जबकि उनकी मौत ताइपाई में 18 अगस्त 1945 को हो गयी थी, पर इस बात से बंगाली लोग राजी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस विषय पर बंगाल की मुख्यमंत्री को भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने बताया कि नेताजी पर पुस्तक उन्होंने 11 देशों से मिले सबूतों के आधार पर लिखी है, जो पुस्तक में भी मौजूद हैं. उन्होंने इस गंभीर विषय पर जांच व सबूत जुटाना 1987 से ही शुरू कर दिया था. 2017 में इसे लेकर कई देशों की यात्रा भी किये.
‘बर्फ’ पुस्तक के रूप में राजकमल पब्लिशर्स की मेहनत से आयी
शनिवार को एक परिचर्चा के दौरान निदेशक, अभिनेता व स्क्रीनराइटर सौरभ शुक्ला, जिन्होंने जॉली एलएलबी, सत्या, बर्फी, पीके जैसे हिट फिल्मों में काम किया है, कहा कि ‘बर्फी’ को पुस्तक के रूप में लाने में उनसे ज्यादा राजकमल पब्लिशर्स का योगदान है, वो तो स्क्रीनराइटर हैं. उन्होंने कहा कि उनके सोचने और कार्य करने की शैली उनकी मां की विरासत है. वे आज जो कुछ भी हैं, अपनी मां ‘जयामाया’ पहली भारतीय महिला तबला वादक की वजह से ही हैं. उन्होंने कहा कि वे पहले से एक लेखक थे, बाद में उन्होंने अभिनय करना शुरू किया. सभी अभिनेता बनने की इच्छा रखनेवालों के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें लिखना चाहिए इससे कल्पना करने की क्षमता बढ़ती है, और हम अभिनय के क्षेत्र में ज्यादा अच्छा कर पाते हैं.

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