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कोलकाता : महाभारत व रामायण राजा को नहीं, राज्य को सोचकर साकार होगा: देवदत्त पटनायक
कोलकाता : आज राजनीति में यदि महाभारत और रामायण का स्वरूप देखना है तो राज्य के बारे में सोचना होगा, राजा के बारे में नहीं. ये बातें जाने माने लेखक और पौराणिक कथाकार देवदत्त पटनायक ने शनिवार को ‘एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल’में एक परिचर्चा के दौरान कहीं. उन्होंने ने कहा कि लोगों के लिए महाभारत […]
कोलकाता : आज राजनीति में यदि महाभारत और रामायण का स्वरूप देखना है तो राज्य के बारे में सोचना होगा, राजा के बारे में नहीं. ये बातें जाने माने लेखक और पौराणिक कथाकार देवदत्त पटनायक ने शनिवार को ‘एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल’में एक परिचर्चा के दौरान कहीं. उन्होंने ने कहा कि लोगों के लिए महाभारत एवं रामायण में सर्वोच्च चरित्र राम और कृष्ण हैं, उन्हें वे एक ही पाते हैं जो विष्णु पुराण के दो भाग हैं.
जैसे शिव और विष्णु अलग-अलग नहीं हैं, क्योंकि दोनों सनातन धर्म की बात करते हैं. अलग-अलग परिस्थिति में भगवान को भिन्न रूप लेने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि राम को देखकर हम नाच गाने की नहीं सोचेगें पर कृष्ण के बारे सोचने से ही श्रृंगार रस का एहसास होता है. शिवलिंग पर उन्होंने कहा कि र्निगुण को आकार देना ही शिवलिंग है. उन्होंने महाभारत और रामायण के मध्य 56 समानता को निकाल कर अपनी पुस्तक ‘रामायण वर्सेस महाभारत प्लेफुल कम्पेरिजन’ लिखा है. यह जल्द ही हिंदी में भी उपलब्ध होगी.
श्री पटनायक ने कहा कि भारतीय संस्कृति ऐसी है कि यहां किसी समस्या को विवाद से नहीं संवाद से सुलझाया जाता है. वे संवाद पर ही विश्वास करते हैं परंतु आजकल राजनीति से लेकर जनतंत्र में संवाद का ही अभाव है.
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