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देश में तेजी से बढ़ रहा है डिजिटल लेन-देन
कोलकाता : कोलकाता. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) द्वारा हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 ने इस बात का खुलासा किया है कि पिछले कुछ सालों में डिजिटल ट्रांजैक्शंस की अहमियत/मूल्य के साथ-साथ करंसी का सर्कुलेशन बढ़ा है. वित्त वर्ष 2016 में डिजिटल लेन-देन का आंकड़ा 16.63 लाख करोड़ था, जो वित्तीय वर्ष 2018 में […]
कोलकाता : कोलकाता. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) द्वारा हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 ने इस बात का खुलासा किया है कि पिछले कुछ सालों में डिजिटल ट्रांजैक्शंस की अहमियत/मूल्य के साथ-साथ करंसी का सर्कुलेशन बढ़ा है. वित्त वर्ष 2016 में डिजिटल लेन-देन का आंकड़ा 16.63 लाख करोड़ था, जो वित्तीय वर्ष 2018 में 18.29 लाख करोड़ पहुंच गया है.
देश के लोगों में डिजिटल लेन-देन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. कैशलेस इंडिया के लिए डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद देश अधिकांशतः कैश यानी नकद लेनदेन पर ही निर्भर करता है. ऐसे में कॉन्टैक्टलेस पेमेंट कार्ड्स, भारत को कैशलेस बनाने में मददगार हो सकते हैं. कॉन्टैक्टलेस पेमेंट कार्ड्स यूजर को पीओएस (प्वायंट ऑफ सेल) टर्मिनल पर मात्र टैप करने भर से भुगतान करने की सुविधा देता है. इससे भुगतान करने की प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा तेज हो जाती है, कॉन्टैक्टलेस कार्ड के साथ लेन-देन करने में तीन सेकेंड या इससे भी कम का समय लगता है.
बैंकों को एनएफसी सक्षम कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट व डेबिट कार्ड जारी करने की सलाह
इस प्रक्रिया को सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्रालय हाल ही में एक निर्देश लेकर आया है, जिसमें बैंकों को नियर-फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) सक्षम कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स जारी करने की सलाह दी गयी है. कॉन्टैक्टलेस पेमेंट कार्ड्स यूजर को पीओएस (प्वायंट ऑफ सेल) टर्मिनल पर मात्र टैप करने भर से भुगतान करने की सुविधा देता है.
इससे भुगतान करने की प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा तेज हो जाती है और ग्राहकों को तुरंत भुगतान का अनुभव भी देता है. रिटेलर की दृष्टि से इसका मतलब है कि उसे अप और क्रॉस सेलिंग के जरिये राजस्व में अतिरिक्त वृद्धि करने का मौका मिलता है और साथ ही वह लंबी लाइनों के कारण चले जानेवाले ग्राहकों की संख्या में भी कमी ला सकता है.
इस संबंध में टी आर रामचंद्रन, ग्रुप कंट्री मैनेजर, इंडिया और साउथ एशिया, वीसा ने बताया कि भारत में कॉन्टैक्टलेस कार्ड्स को बड़ी संख्या में अपनाने का रास्ता बनाने के लिए वीसा जैसे पेमेंट कार्ड प्रदात्ता भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से अपग्रेड कर रहे हैं और परिणामस्वरूप ऐसे टच प्वायंट की संख्या में वृद्धि कर रहे हैं, जो इस तरह की तकनीक को स्वीकार करते हैं.
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