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कोलकाता : जानिए क्‍यों प्रदेश भाजपा नेतृत्व से खफा है आलाकमान

कई मुद्दों पर तृणमूल सरकार के खिलाफ प्रदेश भाजपा नेताओं के तेवर आक्रामक नहीं होने से है नाराजगी कोलकाता : पश्चिम बंगाल की सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए मिशन बंगाल (सीट-22) का लक्ष्य निर्धारित करनेवाले भाजपा अध्यक्ष व उनकी टीम प्रदेश भाजपा के मौजूदा नेतृत्व से बेहद खफा हैं. वजह है ममता सरकार […]

कई मुद्दों पर तृणमूल सरकार के खिलाफ प्रदेश भाजपा नेताओं के तेवर आक्रामक नहीं होने से है नाराजगी
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए मिशन बंगाल (सीट-22) का लक्ष्य निर्धारित करनेवाले भाजपा अध्यक्ष व उनकी टीम प्रदेश भाजपा के मौजूदा नेतृत्व से बेहद खफा हैं. वजह है ममता सरकार को घेरने में प्रदेश भाजपा की नाकामी.
हालिया उदाहरण माझेरहाट ब्रिज हादसे का है. कोलकाता के बाहर रहते हुए भी भाजपा के पश्चिम बंगाल के पर्यवेक्षक कैलाश विजयवर्गीय ने घटना की खबर पाते ही तुरंत ट्वीट करके और मीडिया के मार्फत इस घटना पर दुख जताते हुए ममता सरकार को घेरने के लिए साफ शब्दों में कहा कि यह घटना दर्शाती है कि ममता सरकार को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है.
कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी लाइन का संकेत दे दिया, लेकिन मजे की बात यह रही कि प्रदेश के ज्यादातार नेताओं को वक्त पर इस खबर का पता ही नहीं चला. भाजपा का मीडिया सेल सुस्त पड़ा रहा. वह प्रदेश के नेताओं को इस घटना की गंभीरता से अवगत नहीं करा पाया. इस बीच घटना की खबर पाते ही मौके पर तृणमूल कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता तक पहुंच गये. देर रात तक नेताओं का जमावड़ा लगा रहा.
माकपा के विधानसभा में नेता सुजन चक्रवर्ती ने देर से ही सही, लेकिन मौके पर पहुंच कर जिस तरह से मीडिया का फोकस अपनी तरफ किया, वह भाजपा के आला नेताओं के लिए सबक है. भाजपा के छोटे और मझोले नेता मौके पर पहुंचे जरूर, लेकिन उन पर मीडिया का फोकस नहीं रहना ही स्वाभाविक है.
हालांकि भाजपा की इज्जत बचाने में राहुल सिन्हा देर से ही सही मौके पर पहुंचे. इसके बाद दूसरे दिन अन्य नेता मौके पर पहुंचने और अस्पताल में घायलों को देखने पहुंचे, लेकिन तब तक वह लोग मीडिया के फोकस से दूर चले गये. हालांकि भाजपा के नेता इसके लिए सफाई दे रहे हैं कि वह लोग जिला सफर और संगठन के कामों में व्यस्त थे.
हालांकि यह सफाई भाजपा आला कमान को रास नहीं आ रही है, क्योंकि घटना के समय ममता बनर्जी भी दार्जिलिंग दौरे पर थीं, लेकिन घटना की खबर पाते ही जिस तरह से वह मौके पर जाने के लिए तत्पर हुईं, वह दृश्य बंगाल के लोगों ने देखा और लोगों की साहनुभूति ममता बनर्जी की तरफ हो गयी. उसको देखते हुए भाजपा आलाकामान की नजर में प्रदेश भाजपा के नेता पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रहे हैं.
खुद कैलाश विजयवर्गीय अपने करीबी लोगों में ममता बनर्जी के तेवर और कलेवर की चर्चा करते हुए कहते हैं कि ममता जब विपक्ष में थीं, वह जिस तरह से सत्ता पक्ष को घेरती थी वह वाकई काबिले तारीफ है. नंदीग्राम व सिंगूर की घटना इसकी मिसाल है. उस वक्त भाजपा उनको दूर से मदद करती थी, जिसकी वजह से वह सत्ता में हैं. आज पार्टी चाहती है कि वह विपक्ष की भूमिका में आये तो नेता खरा नहीं उतर पा रहे हैं.
प्रदेश भाजपा के एक राष्ट्रीय नेतृत्व ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी के साथ जनता है, लेकिन जनता के साथ पार्टी का नेतृत्व तालमेल नहीं बैठा पा रहा है.

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