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निजी आयुष कॉलेजों में मनमाने ढंग से वसूल रहे हैं फीस, छात्र परेशान, प्रशासन बेखबर

कोलकाता : निजी आयुष कॉलेजों के साथ राज्य सरकार का सौतेला व्यवहार अब खुल का सामने आने लगा है. जीता जागता सबूत निजी आयुष कॉलजे की दशा बयां कर रही है. इन कॉलजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों से मनमाने ढंग से फीस वसूले जा रहे हैं. जहां एक ओर से एलोपैथी निजी मेडिकल कॉलेजों […]

कोलकाता : निजी आयुष कॉलेजों के साथ राज्य सरकार का सौतेला व्यवहार अब खुल का सामने आने लगा है. जीता जागता सबूत निजी आयुष कॉलजे की दशा बयां कर रही है. इन कॉलजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों से मनमाने ढंग से फीस वसूले जा रहे हैं. जहां एक ओर से एलोपैथी निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार द्वारा नियमानुसार एक फीस स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है, वहीं पश्चिम बंगाल के निजी आयुष कॉलेजों के लिए अंतिम बार 2002 में फीस स्ट्रक्चर तैयार किया गया है.
फलस्वरुप अब प्राइवेट आयुष कॉलेज मनमाने ढंग से छात्रों से फीस वसूल रहे हैं. इस वर्ष राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा या एनईईटी परीक्षण के जरिए आयुष कॉलेजों में छात्रों एडमिशन मिल रहा है. इन निजी कॉलेजों में फ्री और पे सीट में छात्रों को दाखिला मिलता है. दोनों ही सीट पर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को फीस देना पड़ता है, लेकिन पे सीट पर पढ़ने वाले छात्रों को निर्धारित खर्च से 70 फीसदी अधिक फीस देना पड़ता है.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पे सीट पर पढ़ाई करने वाले छात्रों से फीस के तौर पर 11-20 लाख रुपये लिये जा रहे हैं. वहीं नियमों को ताक पर रख कर अन्य राज्यों के छात्र- छात्राओं को भी दाखिला मिल रहा है. निजी कॉलेजों के फीस अधिक लेने से राज्य के मेधावी छात्र प्रभावित हो रहे हैं. उधर, आयुष कॉलेज प्रबंधनों की माने तो फीस को दोबारा निर्धारित करने के लिए कई बार राज्य सरकार से आवेदन किया गया था. लेकिन सरकारी की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
इस विषय में ज्यादा जानने के लिए हमने कुछ निजी आयुष मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की. कंटाई रघुनाथपुर आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रो. डॉ स्वरुप दे बात की. उन्होंने कहा कि कॉलेजों के संचालन पर काफी खर्च आता है. छात्रों को पंचकर्मा और फार्मासिस्ट कोर्स मे दवा बनाने के लिए स्टूडेंट्स सिखाया जाता है.
इस खर्च को हमें वहन पड़ता है.वहीं सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन के नियमानुसार हमें हर्बल गर्डेन के रख रखाव पर भी खर्च करना पड़ता है. इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मी व कॉलेज कर्मियों का वेतन भी है. हां सरकार हमें पिछले साल 40 लाख रुपये का अनुदान जरूर देती है. लेकिन कॉलेज के संचाल के लिए यह काफी नहीं. इसलिए हम भी चाहते हैं कि सरकार फीस स्ट्रक्चर को तैयार करे.

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