कोलकाता : खतरनाक ब्लू व्हेल गेम कई मासूम बच्चों की मौत की वजह बना. ठीक ऐसा ही एक और खतरनाक खेल सामने आया है. उसका नाम मोमो चैलेंज है. इस खतरनाक खेल ने भारत में दस्तक दे दी है. सोचने वाली बात यह है कि इंटरनेट के इस दौर में बच्चे इस जानलेवा खेल से कितने सुरक्षित हैं?
देश में पहली मौत राजस्थान में : राजस्थान के अजमेर में कक्षा 10वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा की अस्वाभाविक मौत हुई थी. सूत्रों की मानें तो अपने जन्मदिन के तीन दिन बाद उसने अपनी नश काटी और फांसी लगा ली. जब पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो कुछ संदेहास्पद बातों का पता चला. मसलन मृतका के मोबाइल फोन ब्राउजर हिस्ट्री में कई संदिग्ध चीजों का पता चला. उसमें मोमो चैलेंज खेल के नियम और मृतका के शरीर पर बने निशान चौंकाने वाले थे. आशंका जतायी जा रही है कि उसकी मौत की वजह मोमो चैलेंज है. फिलहाल पुलिस मामले की जड़ तक पहुंचना चाह रही है.
खतरनाक टास्क मिलते हैं :सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर जापान के एरिया कोड वाला नंबर वायरल हो रहा है. उस लिंक से जुड़ने और व्हाट्स ऐप पर नंबर सेव करने पर खतरनाक तस्वीर वाली प्रोफाइल सामने आती है. यह भयानक तस्वीर जापान के संग्रहालय में प्रदर्शित एक मूर्ति से मिलती है. मोमो चैलेंज में ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक टास्क दिये जाते हैं. मोमो चैलेंज से पहली मौत अर्जेंटीना में हुई, जहां 12 वर्षीया एक बच्ची ने आत्महत्या की. उसके मोबाइल फोन की जांच के बाद उसके मोमो चैलेंज जैसे खतरनाक खेल से जुड़े होने की बात सामने आयी.
बच्चों की गतिविधियों पर नजर जरूरी :ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक खेल मोमो चैलेंज के भी तेजी से फैलने की आशंका है. ऐसे में अभिभावकों को ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है. मनोचिकित्सक अभिषेक हंस के अनुसार ब्लू व्हेल गेम की तरह खतरनाक खेल मोमो चैलेंज की जाल में बच्चे आसानी से फंस सकते हैं. अभिभावकों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है. उनकी सतर्कता बच्चों को ऐसे खेल के चंगुल में फंसने से रोक सकती है. बच्चे यदि कुछ दिनों से चुपचाप, उदास नजर आयें या उनके व्यवहार में अचानक से बदलाव आये तो उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. उस वक्त बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है. खासतौर से उनके मोबाइल फोन व सोशल मीडिया पर गतिविधि पर नजरदारी जरूरी है. बच्चे सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट कर रहे हैं, उनके कौन दोस्त हैं, यह जानकारी नियमित रूप से लेनी जरूरी है.
पुलिस द्वारा दिये गये कुछ सुझाव
अभिभावकों को अपने बच्चों के मोबाइल पोन को एंटी वायरस से सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि वे संदिग्ध लिंक खोलने से बचें. इतना ही नहीं बच्चों के मोबाइल फोन पर कॉनटेक्ट लिस्ट पर परिचित के ही नंबर रहें, इसका ख्याल रखना चाहिए
कंप्यूटर बच्चों के बेडरूम में न लगाकर घर के काॅमन प्लेस में लगायें. ताकि बच्चे सीक्रेट कम्युनिकेशन ना कर पायें
बच्चों से इंटरनेट के अनुभव को पूछें. उन्हें उसके खतरनाक पहलुओं और साइटों से होने वाले नुकसान के बारे में भी बतायें.
मोबाइल, कंप्यूटर, सोशल मीडिया और इंटरनेट को लेकर बच्चों से अभिभावक हमेशा वार्ता करें और पूरी जानकारी लें.
सोशल मीडिया पर चैटिंग के दौरान किसी अनजान को अपनी पर्सनल जानकारी नहीं देने के लिये बच्चों को प्रेरित करना जरूरी है
बच्चों के मोबाइल व कंप्यूटर की मॉनिटरिंग करें