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आगरा सम्मिट की असफलता का सदा ही रहा दु:ख
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद कृष्णा बोस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि श्री वाजपेयी चाहते थे कि पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ के साथ हुए आगरा सम्मिट सफल हो और कश्मीर समस्या का समाधान हो, लेकिन इतिहास सभी जानते हैं. आगरा सम्मिट विफल […]
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद कृष्णा बोस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि श्री वाजपेयी चाहते थे कि पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ के साथ हुए आगरा सम्मिट सफल हो और कश्मीर समस्या का समाधान हो, लेकिन इतिहास सभी जानते हैं.
आगरा सम्मिट विफल रहा और श्री वाजपेयी का सपना नहीं पूरा हुआ. श्रीमती बोस वाजपेयी के साथ बिताये अपने क्षणों का याद करते हुए कहा कि मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में श्री वाजपेयी के घुटने का अॉपरेशन हुआ था. अमेरिका से डॉक्टर ने आकर उनका ऑपरेशन किया था. उसी हॉस्पिटल में उनका भी घुटने का ऑपरेशन उसी डॉक्टर ने किया था. वह ऑपरेशन को लेकर काफी भयभीत थी.
श्री वाजेपयी का ऑपरेशन पहले हो गया थे. जब वह ऑपरेशन को लेकर डर रही थी, उसी समय श्री वाजपेयी का फोन आया और उन्हें कहा : आप भयभीत नहीं हों और ऑपरेशन करायें और उनका भी ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद दोनों बहुत ही स्वस्थ नहीं थे. उसी समय पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा सम्मिट होनी थी. उस सम्मिट के लेकर श्री वाजपेयी काफी चिंतित थे. वह उस समय हॉस्पिटल में ही थी. वाजपेयी और उनका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक नहीं हुअा था.
वह व्हील चेयर पर ही उनके कमरे में चलीं जाती और श्री वाजपेयी बेड पर ही रहते थे. उसी अवस्था में पाकिस्तान व कश्मीर को लेकर काफी बातचीत होती थी. श्रीमती बोस ने कहा कि श्री वाजपेयी दूसरे का काफी ध्यान रखते थे. जब आगरा में बातचीत शुरू हुई, तो वाजपेयी की तरह ही उनके लिए भी इंतजाम हुए, ताकि उन्हें भी ज्यादा नहीं चलना पड़े. होटल में सबसे नजदीक टेबल जिनका नाम ‘गंगा’ रखा गया था. उस पर वाजपेयी और मुशर्रफ बैठे और पास के टैबल जिनका नाम ‘यमुना’ रखा गया था.
उस पर वह व सोनिया गांधी बैंठीं. श्रीमती बोस ने कहा कि उन्हें बहुत अच्छी तरह याद है, उनके पति शिशिर बोस की तबीयत काफी खराब थी. प्रधानमंत्री वाजपेयी का प्रत्येक दिन फोन आता था और उनके पति के स्वास्थ्य की जानकारी लेते थे. यदि कभी वह खुद फोन नहीं करते थे, तो उनके सहयोगी कुलकर्णी फोन कर अवश्य ही जानकारी लेते थे. श्री वाजपेयी के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला ही. साथ ही उनके साथ उनके व्यक्तिगत संबंध भी थे.
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