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क्लब के निर्देश पर अदालत हैरान, क्लब ने वृद्ध को बेटा-बहू को मासिक 16 हजार रुपये देने का दिया था निर्देश
कोलकाता : अब तक बच्चों को अपने माता-पिता को भरण पोषण देना होता था, लेकिन एक उल्टा ही मामला सामने आया है, जहां एक क्लब ने वृद्ध को निर्देश दिया है कि अपने बेटे और बहू को मासिक 16 हजार रुपये अदा करे. स्थानीय क्लब के इस फैसले को देखकर कलकत्ता हाइकोर्ट ने हैरानी प्रकट […]
कोलकाता : अब तक बच्चों को अपने माता-पिता को भरण पोषण देना होता था, लेकिन एक उल्टा ही मामला सामने आया है, जहां एक क्लब ने वृद्ध को निर्देश दिया है कि अपने बेटे और बहू को मासिक 16 हजार रुपये अदा करे. स्थानीय क्लब के इस फैसले को देखकर कलकत्ता हाइकोर्ट ने हैरानी प्रकट की है, जहां क्लब पंचायत की तरह आचरण कर रहा है.
अदालत के मुताबिक, ऐसे बेटे को तो जेल भेज देना चाहिए. आरोप है कि बर्दवान के बीबी घोष रोड के वृद्ध दंपत्ति फजलूल हक (68) और नजमा हक (60) के साथ उनका बड़ा बेटा व बहू अत्याचार करते हैं. बेरोजगार बेटे की गृहस्थी को मोदी व्यवसायी फजलूल को ही चलाना पड़ता है.
आरोप है कि बेटे और बहू की अर्जी पर स्थानीय क्लब, नेताजी सुभाष संघ ने फजलूल को निर्देश दिया कि बड़े बेटे को हर महीने बैंक के जरिए 16 हजार रुपये अदा करे. वृद्ध दंपती ने गत वर्ष 11 मार्च को बर्दवान महिला थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. इसके बाद बर्दवान के पुलिस सुपर को भी चिट्ठी दी गयी, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया.
इधर बेटे और बहू का अत्याचार भी बढ़ता गया. इसके बाद उन्होंने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. गत पांच जनवरी को न्यायाधीश देवांशु बसाक ने जिला लीगल सर्विस ऑथोरिटी को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों को बैठाकर मामले का समाधान वह करें. आरोप है कि बहु ने अपने दो देवरों पर दुष्कर्म का झूठा आरोप भी लगा दिया. इसमें सास-ससुर पर भी दुष्कर्म में मदद देने का आरोप लगाया गया.
मामले की सुनवाई न्यायाधीश नादिरा पथेरिया की अदालत में हुई. वृद्ध दंपत्ति के वकील इंद्रदीप पाल ने कहा कि स्थानीय क्लब ने गलत निर्देश दिया और वृद्ध दंपत्ति को भरणपोषण देने के लिए कहा. इसपर अदालत का कहना था कि ऐसे बेटे को तो जेल में भेज देना चाहिए. अदालत ने जिला लीगल सर्विस ऑथोरिटी से आगामी 20 अगस्त को रिपोर्ट तलब किया है.
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