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हिंदी और हावड़ा के गौरव थे पत्रकार राजकिशोर

कोलकाता : पत्रकार राजकिशोर हिंदी के एक कुशल गद्यकार, राजनीतिक विश्‍लेषक और चिंतक थे. उनके पाठकों का एक बड़ा समुदाय था. वे कवि और उपन्यासकार होने के अलावा अपने युवा काल में विभिन्न आंदोलनों से भी जुड़े रहे हैं. हावड़ा उनकी जन्मभूमि और लंबे समय तक कोलकाता कर्मभूमि थी. वे गांधी और लोहिया के विचारों […]

कोलकाता : पत्रकार राजकिशोर हिंदी के एक कुशल गद्यकार, राजनीतिक विश्‍लेषक और चिंतक थे. उनके पाठकों का एक बड़ा समुदाय था. वे कवि और उपन्यासकार होने के अलावा अपने युवा काल में विभिन्न आंदोलनों से भी जुड़े रहे हैं. हावड़ा उनकी जन्मभूमि और लंबे समय तक कोलकाता कर्मभूमि थी. वे गांधी और लोहिया के विचारों से प्रभावित थे. सही अर्थों में स्वतंत्र पत्रकार और हिंदी के प्रायः सभी बड़े अखबारों के स्तंभ लेखक के रूप में उन्होंने हिंदी पत्रकारिता में एक कीर्तिमान स्थापित किया है.
राजकिशोर की 71 साल की अवस्था में दिल्ली में निधन के बाद लालबाबा कॉलेज, बेलूड़ में आयोजित एक स्मरण सभा में हिंदी लेखकों और समाजसेवियों ने अपने प्रिय लेखक को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर उनकी जीवन-यात्रा पर सौमित्र जायसवाल ने एक सुंदर डिजिटल प्रस्तुति की. राजकिशोर के विद्यार्थी जीवन के सखा डॉ शंभुनाथ ने कहा कि राजकिशोर की सहज, चुटीली और तार्किक भाषा ने हिंदी पत्रकारिता का एक आदर्श खड़ा किया है. उन्होंने विचारों और मूल्यों के लिए जीवन में कभी समझौता नहीं किया. दिल्ली में उनकी अंत्येष्टि बहुत सादगी से हुई, जैसा वे चाहते थे. अभावों तथा शारीरिक व्याधियों से जूझते हुए 50 सालों तक बिना थके वे लिखते रहे. लेखन ही राजकिशोर का जीवन था. राजकिशोर ने भारतीय भाषा परिषद द्वारा आठ खंडों में शीघ्र प्रकाश्य ‘हिंदी साहित्य ज्ञानकोश’ के भाषा संपादक के रूप में भी काम किया है.
एमएसटीसी के महाप्रबंधक और लेखक मृत्युंजय ने उन्हें याद करते हुए कहा कि राजकिशोर बड़े सहज, मिलनसार और खुशदिल इन्सान थे. वे सच्चे अर्थों में बौद्धिक रूप से स्वतंत्र पत्रकार थे. विद्यासागर विश्‍वविद्यालय के प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि उनका छल कपट से रहित पारदर्शी व्यक्तित्व और उनके विचार नयी पीढ़ी को प्रेरणा देते रहेंगे. राजकिशोर के मित्र और प्रसिद्ध नाट्यकर्मी महेश जायसवाल ने कहा कि वे अपने निजी दुखों से ज्यादा देश-दुनिया की चिंता करते थे.
लालबाबा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ संजय कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि हावड़ा ने अपना एक बड़ा साहित्यिक रत्न खो दिया. स्मरण सभा में शंकर कुमार सान्याल, शैलेंद्र, प्रो आशुतोष सिंह, बिहारी लाल चौधरी, शिवनारायण गुप्त, चंद्रिका प्रसाद अनुरागी, मंजू बैज, श्रद्धांजलि सिंह, यशवंत सिंह, पूजा गुप्ता, सेराज खान बातिश, जितेंद्र सिंह, ब्रजमोहन सिंह, प्रो.ललित कुमार झा आदि ने अपने भावोद्गार व्यक्त किए. श्रद्धांजलि देन वालों में थे- डॉ शिवनाथ पांडेय, विष्णु गोस्वामी, जितेंद्र जितांशु, रघुनाथ सिंह, रामजी प्रसाद, काली प्रसाद गुप्त और राजकिशोर के परिवार के अशोक साव, सोनालाल साव आदि.

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