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चिकित्सा क्षेत्र में आनंदलोक की सेवा अनुकरणीय

कोलकाता : चिकित्सा के क्षेत्र पर व्यवसायिकता हावी होती जा रही है. ऐसे में ‘आनंदलोक’ की सेवा अनुकरणीय है. इससे औरों को सबक लेना चाहिए. ये बातें प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आशीष कुमार द्वारा आनंदलोक के संस्थापक डीके सराफ पर लिखी पुस्तक ‘एपिसोड्स ऑफ कंपैशन’ के विमोचन पर बतौर मुख्य अतिथि त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय […]

कोलकाता : चिकित्सा के क्षेत्र पर व्यवसायिकता हावी होती जा रही है. ऐसे में ‘आनंदलोक’ की सेवा अनुकरणीय है. इससे औरों को सबक लेना चाहिए. ये बातें प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आशीष कुमार द्वारा आनंदलोक के संस्थापक डीके सराफ पर लिखी पुस्तक ‘एपिसोड्स ऑफ कंपैशन’ के विमोचन पर बतौर मुख्य अतिथि त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने कहीं. उन्होंने कहा कि केवल कम खर्च में चिकित्सा ही नहीं बल्कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी देव कुमार सराफ ने अत्यंत सराहनीय कार्य किया है.
इससे समाज के हर व्यक्ति को सीख लेने की जरूरत है. इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयाेजन साल्ट लेक के बिग बाजार ऑडिटोरियम में किया गया था. जिसमें महानगर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी. समारोह के प्रधान अतिथि के रूप में बांबे हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश चित्ततोष मुखर्जी शामिल थे.
उनके अलावा अन्य विशिष्ट अतिथियों में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश कल्याणज्योति सेनगुप्ता, कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार स्नेहाशीष सूर, कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश संबुद्ध चक्रवर्ती, जाने-माने चित्रकार शुभप्रसन्ना, प्रख्यात दंत चिकित्सक डॉ बारिन राय, वरिष्ठ पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय, प्रख्यात यूरो सर्जन डॉ अमित घोष, पियरलेस अस्पताल व बीके रॉय रिसर्च सेंटर के प्रबंध निदेशक डॉ सुरजीत कर पुरकायस्थ, बांग्ला फिल्मों की नामचीन अभिनेत्री रह चुकीं माधवी मुखर्जी आदि मंच पर आसीन थे.
इस अवसर पर कल्याण सेन बराट व उनके ट्रुप की ओर से संगीत संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था. इस अवसर पर मंच संचालन गौरी बासु ने किया.
कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक डॉ अाशीष कुमार ने पुस्तक के बारे में बताया कि यह देव कुमार सराफ की बायोग्राफी नहीं है, बल्कि उनके कार्यों व उनके दर्शन की अभिव्यक्ति है जिसे पुस्तक में उन्होंने अपने संस्मरणों के माध्यम से उकेरने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि 1990 में केवल छह बेड के छोटे से कमरे से आरंभ कर आज आंनदलोक ने 38 सालों का जो सफर तय किया है, वह बेमिशाल है.
गौरतलब है कि केवल चार लोगों व 11 हजार रुपये की मामूली पूंजी से आरंभ इस अस्पताल की कुल संपत्ति 104 करोड़ रुपये की है. बंगाल, बिहार और झारखंड में इसकी कुल 32 शाखाएं हैं. जिसमें से 18 शाखाएं इनकी अपनी हैं. वर्तमान में आंनदलोक में 1617 कर्मचारी कार्यरत हैं.

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