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कोलकाता : ब्रेन डेड बेटे के लिए अमेरिका में लड़ रही रंपा

बेटे को लाइफ सपोर्ट देने के लिए अदालतों में लगा रही है गुहार कोलकाता : 14 अप्रैल को घर में आग लगी तो ऑटिज्म का मरीज एरीन चक्रवर्ती आग से दूर जाने के बजाय घबराकर आग की ओर ही दौड़ गया. दम घुटने और धुएं में सांस लेने के चलते उसे ब्रेन इंजरी हुई और […]

बेटे को लाइफ सपोर्ट देने के लिए अदालतों में लगा रही है गुहार
कोलकाता : 14 अप्रैल को घर में आग लगी तो ऑटिज्म का मरीज एरीन चक्रवर्ती आग से दूर जाने के बजाय घबराकर आग की ओर ही दौड़ गया. दम घुटने और धुएं में सांस लेने के चलते उसे ब्रेन इंजरी हुई और फौरन फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. यहां करीब तीन हफ्ते से वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है.
अस्पताल के डॉक्टर्स ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया है और वे अब लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाना चाहते हैं. मां रंपा बनर्जी इसके खिलाफ हैं और अपने 14 साल के बेटे को न्यू जर्सी के अस्पताल में भेजने के लिए उन्होंने कई अदालतों से अपील की है.
न्यू जर्सी तो मरीजों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखने की अनुमति देता है, लेकिन फिली में ऐसा नहीं है. मूल रूप से कोलकाता की रंपा फिली में लोअर कोर्ट से लेकर ऑर्फंस कोर्ट और अब सुपीरियर कोर्ट तक अपने बेटे की जिंदगी के लिए हर कीमत पर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
रंपा ने बताया कि 20 साल पहले शादी होने के बाद से उन्होंने बहुत कुछ खोया है, लेकिन बेटे की जिंदगी से वह कोई समझौता नहीं करना चाहतीं. रंपा को जज के सामने साबित करना होगा कि ब्रेन डेड बेटे को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखना उचित है.
यह स्पष्ट नहीं है कि न्यू जर्सी के अस्पताल ने शुरू में एरीन को फिली के अस्पताल ले जाने की सलाह क्यों दी? उसके चाचा भी यही सवाल दोहराते हैं कि समझ नहीं आता कि न्यू जर्सी अस्पताल ने उन्हें फिलाडेल्फिया क्यों भेजा? ऑटिज्म से पीड़ित एरीन सात मई से सामान्य स्कूल जॉइन करनेवाला था.

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