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पत्रकारों पर हमले को लेकर पाठक मुखर हों, हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ‘कितनी जनाेन्मुखी है भाषायी पत्रकारिता’ पर संगोष्ठी

कोलकाता : मीडिया की शुचिता को लेकर आज पूरे देश में लोग सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन यह भी तथ्य है कि पाठकों तक सच्ची खबर पहुंचाने के लिए पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं. उनकी हत्या तक हो रही है, पर जो जनता समाज के अन्य मुद्दाें पर मुखर होकर सड़कों पर […]

कोलकाता : मीडिया की शुचिता को लेकर आज पूरे देश में लोग सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन यह भी तथ्य है कि पाठकों तक सच्ची खबर पहुंचाने के लिए पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं. उनकी हत्या तक हो रही है, पर जो जनता समाज के अन्य मुद्दाें पर मुखर होकर सड़कों पर उतर जाते हैं, वह पत्रकारों पर हमले को लेकर मूकदर्शक बनी हुई है. ये बातें वरिष्ठ बांग्ला पत्रकार प्रज्ञानंद चौधरी ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर भारतीय भाषा परिषद में आयोजित ‘कितनी जनाेन्मुखी है भाषायी पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी में कहीं. उन्होंने कहा कि खबरों की गुणवत्ता के लिए पाठकों की जागरूकता जरूरी है.
कार्यक्रम के आरंभ में विक्रम नेवर ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम में कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष व दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार स्नेहाशीष सूर ने केपीएमजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भले ही प्रिंट मीडिया की वृद्धि दर 8 फीसदी है, पर भाषाई अखबारों के पाठकों की संख्या में इजाफा हुआ है. हिंदी स्वत: ही सेतु भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है.
वरिष्ठ पत्रकार बच्चन सिंह सरल ने कहा कि आजादी के पहले और आज की पत्रकारिता में अंतर आया है. हिंदी को आज भी लिंग्वा फ्रैंका होने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, परंतु भाषाई पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है.
पत्रकार संतोष सिंह ने पत्रकारिता के पेशेवर होने को अच्छा संकेत बतलाया. उन्होंने इस बात को खारिज किया कि सोशल मीडिया अखबार की खबरों का विकल्प है, क्याेंकि वह केवल गाॅशिप है. अभी भी आम जन अखबार को ही खबरों के मामले में विकल्प मानते हैं. भले ही टीवी चैनलों की संख्या में इजाफा दिख रहा है.
आलिया विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की अध्यक्ष प्राे गजाला यास्मिन ने मीडिया को दोष देने की प्रवृत्ति को गलत बताते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता मूल उत्स से कट गयी है, जिसकी वजह इंटरनेट व ऑनलाइन समाचार है. जो साम्प्रदायिक सदभाव व समाज में वैमनस्य बढ़ाने का कारण है. उन्होंने खबर लहेरिया और सिटिजन जर्नलिज्म का भी अपने भाषण में जिक्र किया.
वरिष्ठ पत्रकार राज मिठौलिया ने भाषाई पत्रकारिता को आम आदमी से जुड़ी पत्रकारिता बताया, क्योंकि अंग्रेजी अखबार समाज के खास वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है. वह जमीन ने जुड़ा नहीं है. वहीं शकुन त्रिवेदी ने सोशल मीडिया खासकर हिंदी पोर्टलों को संवाद का बेहतर माध्यम बताया. साथ ही उन्होंने पत्रकारिता को मिशन से प्रोफेशन बनने तक के सफर के बारे में अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर ने किया और विपिन नेवर ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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