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कोलकाता : मैं रहती तो सुरक्षा सुनिश्चित करती : मीरा पांडे
कोलकाता : राज्य की पूर्व चुनाव आयुक्त मीरा पांडे ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि अगर मैं राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहती, तो तीन चरणों में ही पंचायत चुनाव कराती. उनके मुताबिक अगर पर्याप्त संख्या में अगर सुरक्षाकर्मी मौजूद हों, तो रक्तपात को रोका जा सकता है. उल्लेखनीय है कि […]
कोलकाता : राज्य की पूर्व चुनाव आयुक्त मीरा पांडे ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि अगर मैं राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहती, तो तीन चरणों में ही पंचायत चुनाव कराती. उनके मुताबिक अगर पर्याप्त संख्या में अगर सुरक्षाकर्मी मौजूद हों, तो रक्तपात को रोका जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि साल 2013 में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय बल की तैनाती होगी या नहीं इस मुद्दे पर मीरा पांडे के साथ राज्य सरकार का जमकर विवाद हुआ था.
अंत में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद अलापन बंद्योपाध्याय को राज्य सरकार ने चुनाव आयोग की जिम्मेवारी दी गयी थी. उस वक्त पांच चरणों में चुनाव हुआ था, जिसमें तृणमूल कांग्रेस को भारी जीत हासिल हुई थी. इस बार पंचायत चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में मामला चल रहा है. ऐसे में विरोधी दल लगातार अपनी बातों में मीरा पांडे का जिक्र कर रहे हैं.
विरोधी दलों का कहना है कि अगर वह रहतीं, तो ऐसी नौबत नहीं आती. बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर मैं चुनाव आयुक्त होती, तो हर हाल में तीन चरणों में ही चुनाव कराती. एक दिन में चुनाव कराना तभी संभव है, जब पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल मौजूद हों और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. मौजूदा समय में सुरक्षा बल कितनी है, यह कोई नहीं बता पा रहा है. ऐसे में आयोग को पहले खुद संतुष्ट होना होता है.
अतीत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पांच चरणों में पिछली बार जो चुनाव हुआ था, उसमें दो लाख सुरक्षा कर्मी तैनात थे. संख्या ठीक से याद नहीं है, लेकिन जहां तक मुझे याद है प्रत्येक चरण में 35 से 40 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात थे. क्योंकि विभिन्न सत्र में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ती है. मसलन मतदान केंद्र की सुरक्षा, बैलेट पेपर व बाॅक्स लेकर जाना, सेक्टर आॅफिस, संवेदनशील बूथ के साथ थानों में रिर्जव पुलिस बल की मौजूदगी वगैरह कई मामले हैं.
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज आलम यह है कि मतदाताओं को पता ही नहीं है कि 14 मई को चुनाव होगा कि नहीं. यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता व विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. आलम यह है कि कोर्ट को आयोग की नींद तोड़ने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ रहा है. इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है.
वहीं, भाजपा के महासचिव प्रताप बनर्जी का कहना है कि मीरा पांडे का यह बयान एक बार फिर चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करता है कि भाजपा जो आरोप लगा रही हैं, वह सही है.
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