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भगवान के तीन रूप सत्य, चित्त व आनंद : पं. श्रीकांत शर्मा
कोलकाता : भगवान के तीन रूप होते हैं सत्य, चित्त व आनंद. यह कहना है पंडित श्रीकांत शर्मा (बाल व्यास) महाराज का. आनंदलोक की ओर से साॅल्टलेक के मेवाड़ बैंक्वेट में 108वें भागवत-पाठ के आयोजन पर प्रथम दिन भागवत कथा पाठ का प्रारम्भ करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के सत्य, चित्त व आनंद तीन […]
कोलकाता : भगवान के तीन रूप होते हैं सत्य, चित्त व आनंद. यह कहना है पंडित श्रीकांत शर्मा (बाल व्यास) महाराज का. आनंदलोक की ओर से साॅल्टलेक के मेवाड़ बैंक्वेट में 108वें भागवत-पाठ के आयोजन पर प्रथम दिन भागवत कथा पाठ का प्रारम्भ करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के सत्य, चित्त व आनंद तीन रूप होते हैं.
सत्य अर्थात सब जगह, सभी जगहों पर भगवान होते हैं, भगवान कण-कण में होते हैं. धरती के किसी भी कोने से मिट्टी उठाकर मूर्ति बना लीजिए, चाहे मिट्टी की मूर्ति बनायें या सोने की या पत्थर की, सभी कणों में भगवान हैं लेकिन भगवान के दर्शन के लिए भक्ति जरूरी है. जो भक्त पूरी तरह से भगवान की स्मरण में लीन हो जाते हैं उन्हें ही भगवान का दर्शन होता है. उसे हर कण में भगवान दिखते हैं. उन्होंने कहा कि ईश्वर की अद्भुत रचना है मानव शरीर.
मनुष्य का जन्म ईश्वर को जानने और समझने के लिए ही होता है लेकिन इंसान इस चीज को समझने में काफी समय लगा देता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई आप में बुराई निकाल रहा है, तो वह भी ईश्वर ही है. उन्होंने भगवान के दूसरे रूप चित्त का विवरण करते हुए कहा कि चित्त का मतलब होता है हृदय, अर्थात शरीर के रोम-रोम में ही भगवान है.
इंसान के अंदर ही भगवान है.
उन्होंने कहा कि भागवत गीता की ऐसी अनुभुति है कि अगर आप भगवान की भक्ति भावना और पूजा पाठ के लिए अधिक से अधिक समय निकालने लगें, तो समझ लीजिए कि आपको भगवान का दर्शन हो जायेगा. उन्होंने कहा कि ठाकुरजी (भगवान) का तीसरा रूप है आनंद. भजन से परमात्मा निकलते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आपको आनंद को प्रकट करना है, तो उसके लिए पूरी तरह से भगवान के स्मरण में लीन हो जाना होगा. शरीर का नस-नस भगवान के स्मरण में लगा देना होगा. यहीं आनंद है. दो मई से आठ मई तक होने वाले इस भागवत पाठ के प्रथम दिन विधिवत रूप से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. उद्घाटन त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने किया. मौके पर महाराज मृदुल कांत शास्त्री भी मौजूद थे.
इस मौके पर आनंदलोक के संस्थापक देव कुमार सराफ, प्रधान अतिथि में मुरारी लाल दीवान, विशिष्ट अतिथि प्रहलाद राय अग्रवाल एवं विश्वनाथ सेकसरिया, सम्मानीय अतिथि चम्पा लाल सरावगी, रमाशंकर झंवर, वृजमोहन गाड़ोदिया, बालकिसन बालसरिया, पं. लक्ष्मीकांत तिवारी, हरीश अग्रवाल, कृष्ण कुमार छापड़िया, बालकिसन नेवटिया, डॉ. जितेन्द्र साहा, रमेश पाटोदिया, संयोजक समिति में तिलोक चन्द डागा, रमेश नागलिया, सुरेन्द्र बजाज, भगवती प्रसाद अग्रवाल, कैलाश चंद अग्रवाल, रमाकांत बेरीवाल, रामकिसन गोयल, प्रकाश केडिया, अरूण केडिया, संजय मस्करा, गौरी शंकर सराफ, उमा शंकर केडिया, शशिभूषण लोधा, नारायण कुमार पाटोदिया, विनोद गोयल, राम अवतार केडिया, रमेश अग्रवाल, अजय (सोनू) पोद्दार, रामस्वरूप गोयनका, विनय मस्करा, अजय साहा, ट्रस्टी में रामप्रसाद सलारपुरिया, अरुण पोद्दार, सीके धानुका, बीडी अग्रवाल समेत कार्यक्रम में विशेष गणमान्य लोग मौजूद थे.
बंगाल की भूमि पर धर्म व भक्ति की भावना को बढ़ायें : तथागत राय
कोलकाता : बंगाल की भूमि पर धर्म व आध्यात्मिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की जरूरत है. भागवत कथा पाठ व धर्मिक कार्यक्रमों का प्रचार और अधिक करें. बांग्लाभाषियों में भी धर्म के प्रति विश्वास बढ़ायें. यह कहना है त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय का. बुधवार को आनंदलोक की ओर से साॅल्टलेक के मेवाड़ बैंक्वेट में आयोजित 108वें भागवत-पाठ के प्रथम दिन उद्घाटन कार्यक्रम में त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने कहा कि आनंदलोक के इस आयोजना से काफी उत्साहित हूं.
उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक वित्त का इस्तेमाल धर्म के प्रचार पर करें, क्योंकि बंगाल में धर्म और आध्यात्म को लेकर जिस तरह से दुस्प्रचार होता रहा है, उस दुस्प्रचार की वजह से ही लोगों की आस्था आहत हुई है. यहां भगवान पर और धर्म के प्रति विश्वास कम हुआ गया. इस कारण से बंगाल की स्थिति बिगड़ी है. धर्म से विश्वास टूटने की वजह से बंगाल का यह हाल हुआ है. उन्होंने कहा कि जहां बंगाल की धरती पर श्रीरामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया और उस भूमि पर लोग धर्म छोड़कर नास्तिक हो रहे हैं, यह ठीक नहीं है. भागवत पाठ का उद्घाटन त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने किया.
आपका स्नेह ही हमारा बैशाखी है : देव कुमार सराफ
आनंदलोक के संस्थापक देव कुमार सराफ ने कहा कि मैं अपने बचपन को भूला नहीं सकता, इतना कष्टमय गुजरा है कि उस क्षण को कभी भूल नहीं सकता हूं. मेरे लिए सुख के क्षण चले गये, जब समय थे, तब कष्टमय जीवन था लेकिन आज सबकुछ है लेकिन मैं सिर्फ भगवान से यही चाहता हूं कि मेरे हाथों असहायों व गरीबों को सुख देने का अवसर कभी न छीनें. असहाय लोगों की मदद करना ही मेरा धर्म है. उनका स्नेह ही हमारा बैशाखी है.
मेरी इच्छा है कि और 108 भागवत कथा का आयोजन करूं लेकिन यह तभी सम्भव होगा जब ठाकुर की कृपा होगी. उन्होंने कहा कि कथा से आत्मा की शुद्धि के साथ-साथ असहायों के लिए सेवा का और उत्साह बढ़ता है. सात दिवसीय इस भागवत कथा पाठ में प्रथम दिन बुधवार को गरीब व असहायों को हर दिन गैस के चूल्हे, स्टील के बर्तन, छाता, कपड़े, राशन एवं बिछौने वितरण किये गये. इसी तरह हर दिन कुल एक सौ आठ गरीब व असहायों में वितरण किये जायेंगे.
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