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कोलकाता के 14 लोगों में टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट मिला

कोलकाता : दक्षिण कोलकाता के लगभग 14 लोगों के शरीर में टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट (विषाक्त वायरस) पाया गया है. एक निजी लेबोरेटरी ने यह खुलासा किया है. बताया जा रहा है कि कुत्ते-बिल्ली के मांस के सेवन से लोगों के शरीर में टैक्सो प्लाज्मा सिस्ट के वायरस मिले है. शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ कुंतल […]

कोलकाता : दक्षिण कोलकाता के लगभग 14 लोगों के शरीर में टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट (विषाक्त वायरस) पाया गया है. एक निजी लेबोरेटरी ने यह खुलासा किया है. बताया जा रहा है कि कुत्ते-बिल्ली के मांस के सेवन से लोगों के शरीर में टैक्सो प्लाज्मा सिस्ट के वायरस मिले है.
शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ कुंतल माइति ने बताया कि टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट आम तौर पर बिल्ली, सुअर व भेड़ में पाया जाता है. इन जानवरों के मांस खाने वाले लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं. इन पशुओं के मल के संपर्क में आ जाने से कच्ची सब्जी भी दूषित हो जाती है. फिर इससे बनी सब्जियों का सेवन करने वाले भी टैक्सो प्लाज्मा सिस्ट के शिकार हो सकते हैं.
उन्होंने कहा: टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट के कारण ब्रेन, किडनी व लिवर प्रभावित होता है. इसके अलावा बुखार व इंसेफेलाइटिस की भी समस्या हो सकती है. इसलिए मांस को अच्छी तरह से पकाने से यह जीवाणु नष्ट हो जाता है.
डॉ माइति ने बताया कि महानगर समेत आसपास के इलाकों में कुत्ते-बिल्ली, मरी मुर्गियों के मांस सप्लाई की बात सामने आयी है. प्रशासन अपना काम कर रहा है. लेकिन हमें भी सचेत रहने की जरूरत है. इसलिए मांस या चिकन अच्चे से पका लें. इससे मांस में पाये जाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. फास्ट फूड स्टॉल पर या होटल-रेस्तरां में खाने से बचे. क्योंकि कई होटलों में मांस व चिकन को ठीक तरह से पकाया नहीं जाता है. इससे कई बार मांस में पाये जाने वाले जीवाणु की चपेट में आने से समस्या आ सकती है.
कोलकाता में मरे पशुओं के मांस की सप्लाई का पता चला है
गौरतलब है कि हाल के दिनों में कोलकाता में मरे पशुओं-मुर्गियों के मांस की सप्लाई के रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. मरे पशुओं का मांस एक कोल्ड स्टोरेज से प्रोसेस कर सप्लाई करने और यहां तक कि विदेश भी भेजे जाने का मामला सामने आया है. कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
प्रसूताओं को हो सकती है समस्या
डॉक्टर ने बताया कि टॉक्सो प्लाज्मा सिस्ट के शिकार होने पर गर्भ में पल रहे शिशु को खतरा हो सकता है. इसलिए प्रेग्नेंसी से पहले प्रसूताओं का टॉर्च टेस्ट किया जाता है. मां के शरीर में इस वायरस के पाये जाने से कोख में पल रहा बच्चा इंसेफेलाइटिस की चपेट में आ सकता है. जिसके कारण शिशु विकलांग भी पैदा हो सकता है. वहीं एड्स व कैंसर से ग्रसित मरीजों को भी इस वायरस से खतरा हो सकता है. क्योंकि एड्स के मरीजों को स्टेरॉयड तथा कैंसर से ग्रसित रोगियों को कीमोथेरेपी लेनी पड़ती है. ऐसे में इस वायरस के चपेट में आने से ऐसे मरीज निमोनिया व इंसेफेलाइटिस के चपेट में आ सकते हैं या आंखे खराब हो सकती हैं.

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