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पंचायत चुनाव पर सुनवाई पूरी, फैसला आज
कोलकाता : पंचायत चुनाव को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन हाइकोर्ट की एकल पीठ ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. पंचायत चुनाव पर हाइकोर्ट के न्यायाधीश शुक्रवार को शाम 4.30 बजे अपना फैसला सुनायेंगे. गुरुवार को पंचायत चुनाव मामले पर हाइकोर्ट की एकल पीठ में तीन दिनों तक […]
कोलकाता : पंचायत चुनाव को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन हाइकोर्ट की एकल पीठ ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. पंचायत चुनाव पर हाइकोर्ट के न्यायाधीश शुक्रवार को शाम 4.30 बजे अपना फैसला सुनायेंगे.
गुरुवार को पंचायत चुनाव मामले पर हाइकोर्ट की एकल पीठ में तीन दिनों तक चली सुनवाई प्रक्रिया पूरी हो गयी. तीन दिनों तक हाइकोर्ट ने सभी पक्षाें की दलीलों को सुना और सुनवाई पूरी करने का बाद न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार ने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कि वह शुक्रवार शाम 4.30 बजे अपना फैसला सुनायेंगे. साथ ही फैसला नहीं आने तक पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर अंतरिम स्थगन भी जारी रखने का आदेश दिया.
राज्य चुनाव आयोग के जवाब पर संतोष जताया
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश राज्य चुनाव आयोग द्वारा दी गयी दलीलों पर संतोष जताया, जबकि राज्य सरकार की भूमिका पर हाइकोर्ट ने सवाल उठाये. राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रमजान महीने में चुनाव करना असंभव है, इसलिए रमजान से पहले ही चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी होगी.
इसके बाद न्यायाधीश ने आयोग से फिर सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को कार्यकारी करने का लिए आपने क्या कदम उठाया है. आयोग ने जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अमल किया गया है. और कई अतिरिक्त नामांकन भी जमा पड़े हैं. न्यायाधीश ने आयोग की दलीलों पर संतोष जताते हुए कहा कि आप तो आधे अधिवक्ता हो गये हैं. कानून तो ठीक-ठाक समझ रहे हैं.
राज्य सरकार के बयान पर कोर्ट ने जतायी नाराजगी
गुरुवार की सुनवाई के दौरान अदालत ने पंचायत चुनाव को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किये. उन्होंने राज्य के पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सौरव दास से सवाल किया कि राज्य सरकार ने आयोग को पत्र क्यों लिखा. पत्र में ऐसा क्यों लिखा गया कि आयोग द्वारा अवधि बढ़ाने का निर्देश गलत है. राज्य सरकार क्यों सलाहकार की भूमिका निभाने गयी. इस पर सौरव दास ने कहा कि चुनाव स्थगित होने से ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में सभी योजनाओं पर काम बंद हो गया है और कोई नयी योजना शुरू नहीं की जा सकती. न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि अगर अगस्त महीने में पंचायत चुनाव होता है, तो इससे राज्य सरकार को क्या परेशानी है. क्योंकि राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि पंचायत का पांच वर्ष की अवधि अगस्त महीने में खत्म होगी. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया में देरी के कारण सभी योजनाओं पर काम लगभग बंद है. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने की वजह से नये प्रोजेक्ट, कार्यक्रम किसी भी घोषणा नहीं की जा सकती है.
कोर्ट की निगरानी में चुनाव कराने की मांग
भाजपा के अधिवक्ता प्रताप बंद्योपाध्याय ने अदालत से नामांकन की प्रक्रिया अपनी निगरानी में करने की अपील की. साथ ही नामांकन के दौरान पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था की जाये, ताकि लोग निर्भय होकर नामांकन दाखिल कर सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग निरपेक्ष नहीं है, इसलिए अदालत का इस मामले में हस्तक्षेप करना उचित है.
माकपा के अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव आयोग स्वाधीन नहीं है. वह शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने में विफल साबित हो रहा है. तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोग को पत्र लिखकर फैसला बदलने का निर्देश देना पूरी तरह असंवैधानिक है. उन्होंने अदालत से नये सिरे से चुनाव प्रक्रिया संपन्न करने का आवेदन किया.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अदालत कक्ष के बाहर कहा कि चुनाव आयोग पर उनका भरोसा उठ चुका है. इसलिए उन्होंने अदालत की निगरानी में चुनाव संपन्न कराने की अपील की.
राज्य चुनाव आयोग के सचिव की प्रशंसा
गत सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने आयोग के सचिव की कड़ी आलोचना की थी. उस दिन मामले की सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य ने कहा था कि वे कानूनविद् नहीं हैं. उसके बाद न्यायाधीश ने पूछा कि क्या आप पंचायत कानून को जाने बगैर ही पद पर हैं. पर गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने श्री शांडिल्य की प्रशंसा की.
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