Advertisement
उन्नत चिकित्सा प्रणाली से बांझपन का उपचार संभव
कोलकाता : इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रीप्रोडक्शन (आइएसएआर) के 23वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन गुरुवार को किया गया. इस चार दिवसीय सम्मेलन में विश्व के फर्टिलिटी विशेषज्ञों ने भाग लिया. सम्मेलन में आइएसएआर की अध्यक्ष डॉ डुरु शाह व आयोजक सचिव डॉ गाैतम खस्तगीर ने कहा कि भारत में 15 प्रतिशत दंपती इंफर्टिलिटी (बांझपन) के […]
कोलकाता : इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रीप्रोडक्शन (आइएसएआर) के 23वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन गुरुवार को किया गया. इस चार दिवसीय सम्मेलन में विश्व के फर्टिलिटी विशेषज्ञों ने भाग लिया. सम्मेलन में आइएसएआर की अध्यक्ष डॉ डुरु शाह व आयोजक सचिव डॉ गाैतम खस्तगीर ने कहा कि भारत में 15 प्रतिशत दंपती इंफर्टिलिटी (बांझपन) के शिकार हैं. यानी कि भारत में कुल 22-23 मिलियन जोड़े बांझपन के शिकार हैं. इनमें से बहुत कम लोग हैं जो इसका सही उपचार करवा पाते हैं.
संतान नहीं होने के कारण न केवल महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है बल्कि उनके अभिभावकों को इलाज के लिए काफी खर्च भी उठाना पड़ता है. आधुनिक दाैर में अब एडवांस्ड फर्टिलिटी सेवाएं वाजिब कीमत पर निजी अस्पतालों व क्लीनिक में उपलब्ध हैं. इसकी जागरूकता लोगों को होना जरूरी है. उनका कहना है कि बांझपन भी एक समस्या है, जिसका समय पर इलाज करवाना चाहिए. ग्रामीण व शहरी स्तर पर बांझपन की शिकार महिलाओं को न्यूनतम कीमत पर उपचार की जरूरत है, तभी उनका मां बनने का सपना पूरा हो सकता है.
इंफर्टिलिटी को स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत शामिल करने की भी जरूरत है, ताकि कामकाजी महिलाएं इसका खर्च आसानी से उठा सकें. महिलाओं के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए इंफर्टिलिटी का समय पर उपचार कराना बहुत जरूरी है. भारत में कई राज्य ऐसे हैं, जो बांझपन के उपचार के लिए कुछ अनुदान भी प्रदान करते हैं, ताकि इस समस्या को मिटाया जा सके.
इसार के सचिव डॉ गाैतम खस्तगीर ने कहा कि भारत में एआरटी की शुरुआत बंगाल के डॉ सुभाष मुखर्जी ने की थी. उनके योगदान को आज विश्व स्तर पर चिकित्सा जगत के लोग पहचान चुके हैं. उनके इस योगदान के सम्मान स्वरूप एक विशेष कवर व पोस्टल स्टैम्प शुक्रवार को रिलीज किया जायेगा. साथ ही भारत की पहली आइवीएफ बेबी दुर्गा एलियाज, कानुप्रिया को सम्मानित किया जायेगा.
यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आयोजक चेयरपर्सन प्रो. डॉ गीता गांगुली मुखर्जी व महासचिव डॉ अमित पातकी ने जानकारी दी कि असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) के जरिये पूरे विश्व में निःसंतान लोगों को उनकी बायोलॉजिकल संतान का सुख मिला है.
सम्मेलन में बेसिक साइंस, एंडोक्रिनोलॉजी, क्लिनिकल समस्याएं, अल्ट्रासोनोग्राफी, एंडोस्कोपिक सर्जरी, एंड्रोलॉजी और एंब्रीयोलॉजी पर सत्र आयोजित किये जायेंगे, जिससे लोगों को कई जानकारियां मिलेंगी.फोर वोल्यूम्स में इंफर्टिलिटी पर प्रैक्टिकल गाइड जारी की गयी. इस चार दिवसीय सम्मेलन में 10 अलग-अलग विषयों पर विशेष सत्र रखे गये हैं.
व
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement