कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिशन 2019 के लिए 300 से भी लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य बनाया है.
इस बार भाजपा की नजर उन राज्यों पर है, जहां 2014 के चुनाव में पार्टी ने बेहतर परिणाम हासिल नहीं किये थे. इनमें से ही एक राज्य है पश्चिम बंगाल, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को महज दो लोकसभा सीट मिली थी. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया कि 2019 में भाजपा बंगाल की कुल 42 में से 22 लोकसभा सीटें जीतेगी. भाजपा के बंगाल मिशन में ये पांच फैक्टर कारगर साबित हो सकते हैं.
बंगाल में फैल रही है ध्रुवीकरण की बिसात
भाजपा असम और त्रिपुरा की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी अपनी जड़ें जमाने में लगी है. राज्य में मुस्लिम आबादी करीब 30 फीसदी है. ऐसे में ध्रुवीकरण के जरिये ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कवायद की जा रही है.
हाल के दिनों में रानीगंज समेत बंगाल के कई इलाकों में सांप्रादायिक हिंसा की घटनाएं ध्रुवीकरण का माहौल तैयार कर रही है. इन हिंसक घटनाओं पर निशाना साधते हुए केंद्र सरकार में मंत्री बाबुल सुप्रियो ने ममता सरकार को जिहादी सरकार तक बता दिया. इससे पहले मूर्ति विसर्जन को लेकर भी भाजपा ने ममता सरकार के खिलाफ हल्ला बोला था. पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण की बिसात भाजपा के लिए संजीवनी साबित हो सकती है.
तृणमूल के बागी नेता भाजपा के लिए बने संजीवनी
पश्चिम बंगाल में भाजपा को तृणमूल के बागी नेताओं से संजीवनी मिली है. ममता के करीबी रहे मुकुल राय भाजपा में शामिल हो चुके हैं और पार्टी को मजबूत करने में जुट गये हैं. इसी तरह से भाजपा ने असम विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व कांग्रेस नेता हिमंता बिस्वा शर्मा को शामिल कराया था. इसका नतीजा रहा था कि भाजपा पूर्वोत्तर के किसी राज्य में पहली बार सरकार बनाने में कामयाब रही थी.
इसी तरह से त्रिपुरा में भी भाजपा ने कांग्रेस-तृणमूल के बागी नेताओं को साथ लेकर लेफ्ट के दुर्ग को ध्वस्त कर दिया. माना जाता है कि इसी फॉर्मूले के तहत पश्चिम बंगाल में मुकुल राय को लाया गया है. ऐसा समझा जा रहा है कि मुकुल रा तृणमूल के कई नेताओं को भाजपा के पाले में लाने की कवायद कर रहे हैं.
दूसरे नंबर की पार्टी बनती भाजपा
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल के पैरों तले की जमीन बेहद मजबूत है. वहीं, विपक्ष की खाली कुर्सी पर धीरे-धीरे ही सही भाजपा का कब्जा हो रहा है. नगर निकाय चुनाव में भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी रही. इसके बाद राज्य की उलबेड़िया लोकसभा और नोआपाड़ा विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी रही.
उलबेरिया में जहां 2014 के चुनावों में उसका वोट 11.5 फीसदी था, वो अब 23.29 फीसदी हो गया है. वैसे ही नोआपाड़ा विधानसभा में 2016 में जहां भाजपा को 13 फ़ीसदी वोट मिले थे, इस बार उसे 20.7 फीसदी वोट मिले. इस तरह भाजपा का ग्राफ बढ़ रहा और वाममोर्चा का कम हो रहा है.