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सीबीएसइ स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन कक्षा अनिवार्य

छात्रों के फिटनेस को लेकर विशेष निर्देश कोलकाता : स्कूल परिसर में बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सीबीएसइ स्कूलों में एक नयी व्यवस्था की तैयारी जा रही है. अब सीबीएसइ बोर्ड ने स्कूलों में स्वास्थ्य व फिजिकल एजुकेशन पर ज्यादा फोकस करने का निर्देश दिया है. हाल ही में बोर्ड द्वारा एक अधिसूचना सभी […]

छात्रों के फिटनेस को लेकर विशेष निर्देश
कोलकाता : स्कूल परिसर में बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सीबीएसइ स्कूलों में एक नयी व्यवस्था की तैयारी जा रही है. अब सीबीएसइ बोर्ड ने स्कूलों में स्वास्थ्य व फिजिकल एजुकेशन पर ज्यादा फोकस करने का निर्देश दिया है. हाल ही में बोर्ड द्वारा एक अधिसूचना सभी एफिलियेटिड स्कूलों के प्रिंसिपलों को जारी की गयी है.
इसमें स्कूलों को बच्चों को फिट रखने के लिए सुनियोजित तरीके से स्वास्थ्य व फिजिकल एजुकेशन पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है. इसमें नये सत्र का टाइम-टेबल बनानेे से पहले कक्षा नौवीं से 12वीं तक के सीनियर छात्रों के लिए प्रतिदिन एक पीरियड स्वास्थ्य व फिजिकल एजुकेशन के लिए करने के लिए सुझाव दिया गया है. यह नियम इसी एकेडमिक सत्र 2018-2019 से लागू होगा. फिजिकल एजुकेशन की कक्षा आयोजित करना सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा. महानगर में ऐसे भी कई स्कूल हैं, जहां सप्ताह में दो पीरियड फिजिकल एजुकेशन व खेलकूद के लिए रखे गये हैं.
क्या कहना है प्रिंसिपलों का
इस बारे में कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि प्रत्येक दिन फिजिकल एजुकेशन के लिए पीरियड रखने से काफी दिक्कत हो सकती है. इससे दूसरे विषयों की कक्षाएं प्रभावित होंगी. सीनियर क्लास में पाठ्यक्रम पर इसका असर पड़ेगा. पाठ्यक्रम के अनुसार ही स्कूल में कक्षाएं सेट की जाती हैं.
उत्तर कोलकाता के एक स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रख कर ही फिजिकल एजुकेशन पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, ताकि बच्चे हर क्षेत्र में फिट व कामयाब साबित हो सकें. स्कूलों को फिजिकल एजुकेशन को प्राथमिकता देने के लिए यह विशेष निर्देश जारी किये गये हैं. फिजिकल एजुकेशन व खेलकूद पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए. स्कूल के पहले व बाद में भी इसकी क्लास ली जा सकती है. पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है. इसी को फोकस कर खेलकूद को भी प्राथमिकता दी जा रही है. कई प्रिंसिपलों ने इसका स्वागत किया है.
बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार ही काम किया जायेगा. इसी को ध्यान में रखकर टाइम टेबल बनाया जायेगा. प्रत्येक विषय के लिए कितना समय दिया जाए, इस पर स्कूल अंतिम निर्णय लेंगे. इसे कैसे टाइम-टेबल में जोड़ा जाये, इस पर बोर्ड की सलाह लेते हुए अंतिम रणनीति बनायी जायेगी.

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