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बांग्ला पीजी पाठ्यक्रम में जुड़ेगा महिलाओं का संघर्ष

संस्कृत यूनिवर्सिटी कोलकाता : 19वीं शताब्दी की जीवनशैली को ध्यान में रखकर अब संस्कृत यूनिवर्सिटी में बांग्ला पोस्ट-ग्रेजुएशन कार्यक्रम में साधारण महिलाओं के संघर्ष व उनकी अद्भुत कहानियों को जोड़ा जायेगा. महिलाओं का जीवन केवल रसोई व घर-संभालने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. प्रारम्भिक […]

संस्कृत यूनिवर्सिटी
कोलकाता : 19वीं शताब्दी की जीवनशैली को ध्यान में रखकर अब संस्कृत यूनिवर्सिटी में बांग्ला पोस्ट-ग्रेजुएशन कार्यक्रम में साधारण महिलाओं के संघर्ष व उनकी अद्भुत कहानियों को जोड़ा जायेगा. महिलाओं का जीवन केवल रसोई व घर-संभालने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. प्रारम्भिक काल से लेकर आधुनिक काल तक उनका जीवन कैसे विकसित होता गया.
परम्पराओं को निभाते हुए उन्होंने काफी संघर्ष भी किया है. इसे अब संस्कृत यूनिवर्सिटी के पीजी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जायेगा. इसके लिए कुछ विशेषज्ञों की राय ली जायेगी. हालांकि मुख्यधारा के टेक्सट में अब तक का लेखन पुरुषों द्वारा ही किया गया है. अब इसको नये प्रयोग के साथ शुरू किया जा रहा है.
यूनिवर्सिटी की एक शिक्षिका का कहना है कि कोशिश है कि इस संदेश को फैलाया जाये कि समाज को आगे बढ़ाने में नारी का काफी बड़ा योगदान है. उपलब्धियां हासिल करने वाली कई महिलाएं हैं. यूनिवर्सिटी के लिए यह अच्छी कोशिश है कि बंगाली पोस्ट-ग्रेजुएशन कोर्स में इसकी शुरुआत की जा रही है. इसमें साधारण महिलाओं की कहानी होगी. बांग्ला की सहायक प्रोफेसर रुचिरा चक्रवर्ती ने कहा कि कुछ परम्परागत परिवारों की ग्रांडमदर्स व ग्रेट ग्रांडमदर्स को अपनी कहानियां शेयर करने के लिए कहा गया है. पूर्व छात्रों को उनकी माताओं व ग्रांडमदर्स के बारे में लेखन लिख कर लाने के लिए भी कहा गया है. पहले की बुजुर्ग महिलाओं की डायरी, पत्र व कविताओं का संग्रह किया गया है.
इस व्यवस्था से एक साधारण महिला के संघर्ष व खुशी को साझा करने की कोशिश की जायेगी. साथ ही रेसेपी बुक, पुराने आइटम व ज्वेलरी भी संग्रह किये जायेंगे. उनकी जीवन शैली, ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रह व कल्चर का एक वृत्तचित्र तैयार किया जायेगा. यूनिवर्सिटी की वी सी पौला बनर्जी ने कहा कि हम अपने हेरीटेज को भूलते जा रहे हैं. इसको याद रखने की जरूरत है.
इस कोर्स में अप्रकाशित बायोग्राफी व डायरी लेखन को भी शामिल किया जायेगा. चारूलता, घोरे-बाहिरे, स्त्रीर पोतरो जैसी फिल्में भी दिखायी जायेंगी. यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित म्यूजियम में डायरी लेखन, पत्र, ड्राइंग व 19वीं शताब्दी की महिला की आर्ट आदि का संग्रह रखा जायेगा.

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